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June 17, 2025
हिमाचल : रिटायरमेंट के बाद भी नहीं छोड़ा किताबों का दामन, 67 की उम्र में MBA कर रहे हैं सुदर्शन शर्मा
रिटायरमेंट के बाद शिक्षा को बनाया जीवन का उद्देश्य
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ऊना। अक्सर कहा जाता है कि, सीखने की कोई उम्र नहीं होती और ऊना जिले के डंगोली गांव के रहने वाले सुदर्शन शर्मा ने इसे पूरी तरह सच साबित कर दिखाया है। 67 वर्ष की उम्र में जहां अधिकांश लोग रिटायरमेंट के बाद आराम और जीवन की गति धीमी कर देते हैं, वहीं सुदर्शन शर्मा ने इस उम्र में MBA की पढ़ाई कर एक नई राह चुनी है। उन्होंने न केवल अपने लिए बल्कि समाज के युवाओं और वरिष्ठ नागरिकों के लिए भी एक नई प्रेरणा गढ़ी है।
सुदर्शन शर्मा भारतीय स्टेट बैंक (SBI) से 2017 में चीफ मैनेजर के पद से रिटायर हुए। रिटायरमेंट के बाद उन्होंने घर पर समय बिताने की बजाय शिक्षा के मार्ग पर चलने का फैसला किया। वर्तमान में वह गवर्नमेंट एक्सीलेंस कॉलेज ऊना से MBA कर रहे हैं और सेकंड सेमेस्टर की परीक्षाएं भी दे चुके हैं। जुलाई में वह थर्ड सेमेस्टर में प्रवेश करेंगे।
खास बात यह है कि जिस कॉलेज से वह आज MBA कर रहे हैं, वहां वे 50 साल पहले यानी वर्ष 1975 में भी छात्र रह चुके थे। आज जब वह उस कॉलेज में फिर से लौटे हैं, तो उनका आत्मविश्वास, ऊर्जा और सीखने का जज़्बा न केवल उनके सहपाठियों को हैरान करता है, बल्कि उन्हें प्रेरित भी करता है।
सुदर्शन शर्मा ने MBA से पहले भी शिक्षा की यात्रा नहीं रोकी। रिटायरमेंट के तुरंत बाद उन्होंने फलित ज्योतिष आचार्य में दो साल की डिग्री हासिल की। इसके बाद उन्होंने हिमकैप्स लॉ कॉलेज, बढेड़ा से एलएलबी की पढ़ाई पूरी की और ऑल इंडिया बार काउंसिल की परीक्षा पास कर वकालत शुरू की। अब MBA करने के बाद उनका अगला लक्ष्य वेदांताचार्य की पढ़ाई करना है।
MBA की क्लास में सुदर्शन शर्मा अपने सहपाठियों से करीब 45 साल बड़े हैं, लेकिन उनकी सोच और सकारात्मक ऊर्जा उम्र के फासले को कहीं आड़े नहीं आने देती। वह क्लास में मेंटर की भूमिका निभाते हैं।
उनकी एक क्लासमेट बताती हैं कि, जब वह कोर्स छोड़ने की सोच रही थीं तब सुदर्शन शर्मा ने उन्हें समझाया और उनकी प्रेरणा से न केवल कोर्स जारी रखा, बल्कि पहले सेमेस्टर में टॉप भी किया।
67 साल की उम्र में भी सुदर्शन शर्मा बिना चश्मे के पढ़ते हैं, उनके दांत और शरीर दोनों स्वस्थ हैं। वह डायबिटीज, बीपी या किसी अन्य बीमारी से मुक्त हैं। वह कहते हैं, "मेंटल हेल्थ के लिए शारीरिक बल, मानसिक बल और आत्मिक बल तीनों ज़रूरी हैं। अध्ययन, चिंतन और सकारात्मक सोच से मानसिक बल आता है, और शिक्षा ही मानसिक शक्ति का सबसे बड़ा स्रोत है।"
सुदर्शन शर्मा एक आदर्श पिता, ससुर और दादा भी हैं। उनकी पत्नी सुमन शर्मा हिमाचल वेलफेयर बोर्ड से रिटायर हो चुकी हैं। उनके बड़े बेटे सुमंत फार्मा सेक्टर में कार्यरत हैं और बहू पीएचडी होल्डर हैं।
छोटे बेटे सुमित इंजीनियर हैं और बहू गणित की शिक्षिका हैं। दो पोतियों के साथ वे एक संपन्न पारिवारिक जीवन जी रहे हैं।
उनके बेटे सुमंत शर्मा ने कहा, पिता जी ने जिस प्रकार से समय का सदुपयोग किया है, वह हम सबके लिए गर्व की बात है। उन्होंने न केवल अपनी शिक्षा पूरी की बल्कि समाज के लिए भी एक मिसाल पेश की है।