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June 17, 2025

हिमाचल में खराब रिजल्ट पर शिक्षा विभाग का सख्त एक्शन- प्रिंसिपलों को नोटिस जारी, रुकेगा इन्क्रीमेंट

प्रिंसिपलों को नोटिस और शिक्षक कर्मियों की इन्क्रीमेंट रोकी जाएगी

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शिमला। हिमाचल प्रदेश में स्कूल शिक्षा के स्तर को सुधारने की दिशा में राज्य सरकार अब सख्त रुख अपनाने जा रही है। हाल ही में सामने आए कक्षा 10वीं और 12वीं के बोर्ड परीक्षा परिणामों में 25 प्रतिशत से भी कम परिणाम देने वाले 52 स्कूलों की लिस्ट सामने आई है। इसको लेकर अब इन स्कूलों के प्रिंसिपलों और हेडमास्टरों को कारण बताओ नोटिस जारी किया जाएगा।

शिक्षा मंत्री की अगुवाई में बैठक

प्रदेश शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर की अध्यक्षता में विभागीय समीक्षा बैठक होने जा रही है। इस बैठक के लिए स्कूल शिक्षा निदेशालय ने एक विस्तृत प्रस्ताव तैयार किया है, जिसमें खराब परिणाम देने वाले स्कूलों और शिक्षकों पर कार्रवाई का खाका शामिल है। मंत्री की मंजूरी के बाद संबंधित अधिकारियों पर तत्काल प्रभाव से कदम उठाए जाएंगे।

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परिणाम शून्य, कार्रवाई पक्की

जानकारी के अनुसार, 28 वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय और 24 हाई स्कूल ऐसे हैं जिनका परीक्षा परिणाम 25 प्रतिशत से भी नीचे रहा है। इनमें से कुछ स्कूलों का परिणाम तो पूरी तरह शून्य रहा है, जैसे:

  • शिमला जिला का बाहली स्कूल
  • चंबा का रैला स्कूल
  • लाहौल-स्पीति के किब्बर और सलग्रां स्कूल

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  • सिरमौर का टोकियोन स्कूल (23% परिणाम)

इन स्कूलों के प्रिंसिपलों की वार्षिक गोपनीय रिपोर्ट (ACR) में भी रेड एंट्री की जाएगी, जो उनके करियर पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकती है।

शिक्षक भी जांच के घेरे में

खराब परिणामों के लिए सिर्फ प्रधानाचार्यों को ही नहीं, बल्कि विषयवार शिक्षकों को भी जवाबदेह ठहराया जा रहा है। विभाग ने कम प्रदर्शन करने वाले शिक्षकों की सूची तैयार करनी शुरू कर दी है। जिन शिक्षकों की विषयगत सफलता दर कम पाई जाएगी, उनकी वार्षिक वेतन वृद्धि को रोक दिया जाएगा।

यह है जिलेवार स्थिति

10वीं कक्षा के खराब प्रदर्शन वाले स्कूल इस प्रकार से हैं:

  • चंबा : 7 स्कूल
  • किन्नौर : 6 स्कूल
  • कुल्लू : 7 स्कूल
  • मंडी : 23 स्कूल

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  • शिमला : 13 स्कूल
  • सिरमौर : 7 स्कूल
  • सोलन : 4 स्कूल

इनमें 24 हाई स्कूल और 23 वरिष्ठ माध्यमिक स्कूल शामिल हैं, जिनमें से कई का परीक्षा परिणाम शून्य प्रतिशत रहा है।

शिक्षा व्यवस्था में लापरवाही बर्दाश्त नहीं

बहरहाल, राज्य सरकार की यह सख्ती स्पष्ट संकेत है कि अब शिक्षा व्यवस्था में लापरवाही और अकर्मण्यता को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। खराब परिणामों के लिए न सिर्फ संस्थानों के प्रमुख जिम्मेदार होंगे, बल्कि उस विषय को पढ़ाने वाले शिक्षक भी अब जवाबदेह होंगे। इससे राज्य के शिक्षा स्तर में पारदर्शिता और गुणवत्ता सुधारने की उम्मीद की जा रही है।

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