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October 16, 2025
हिमाचल की बेटी अलीशा बनी देश की पहली महिला पायलट, FIA वर्ल्ड चैंपियनशिप में लहराया तिरंगा
अलीशा कटोच ने देश का नाम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर रोशन
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शिमला। भारतीय पैराग्लाइडिंग के इतिहास में एक गौरवपूर्ण अध्याय जुड़ गया है। हिमाचल प्रदेश की बेटी और साहसिक खेलों में अपनी अलग पहचान बना चुकी अलीशा कटोच ने देश का नाम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर रोशन करते हुए एक ऐतिहासिक उपलब्धि अपने नाम की है। वे भारत की पहली महिला पायलट बन गई हैं, जिन्होंने तुर्की में आयोजित 13वीं एफएआई एक्यूरेसी वर्ल्ड चैंपियनशिप में भारत का प्रतिनिधित्व किया है।
तुर्की के अलान्या शहर में 9 से 19 अक्तूबर 2025 तक चल रही इस प्रतिष्ठित प्रतियोगिता में 38 देशों के 140 अनुभवी और विश्व स्तरीय पायलट हिस्सा ले रहे हैं। इनमें विश्व चैंपियन और टॉप रैंकिंग एथलीट शामिल हैं। ऐसे कठिन मुकाबले में अलीशा कटोच तिरंगे के रंगों से सजे अपने पैराग्लाइडिंग विंग के साथ भारत की शान बनकर उड़ान भर रही हैं। यह प्रतियोगिता FAI (federation Aeronautical intaraneshanal) द्वारा मान्यता प्राप्त कैटेगरी-1 इवेंट है, जिसे पैराग्लाइडिंग का सबसे ऊंचा और प्रतिष्ठित मंच माना जाता है।
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इस अवसर पर भावुक हुईं अलीशा ने अपनी इस ऐतिहासिक उड़ान को अपने दिवंगत कोच विजय सोनी को समर्पित किया। उन्होंने कहा कि यह सिर्फ मेरा सपना नहीं था, यह मेरे इंस्ट्रक्टर विजय सोनी सर का सपना था। दुख की बात है कि वे आज हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन इस मुकाम तक पहुंचना उनके बिना संभव नहीं होता। मैं इस उपलब्धि को पूरी तरह उनके नाम करती हूं।
अलीशा कटोच का अब तक का रिकॉर्ड खुद उनकी मेहनत और काबिलियत का गवाह है। उन्होंने अब तक विभिन्न राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय प्रतियोगिताओं में 21 पदक और 7 ट्रॉफियां जीतकर एक मजबूत पहचान बनाई है। उनका यह सफर न सिर्फ उनके लिए बल्कि देश की युवा पीढ़ी विशेषकर महिला पायलटों के लिए प्रेरणा का स्रोत बन गया है।
अलीशा की यह उपलब्धि हिमाचल प्रदेश और खासकर कांगड़ा व धर्मशाला क्षेत्र के लिए गर्व का विषय है। जहां एक समय में साहसिक खेलों में पुरुषों का दबदबा था, वहीं अलीशा जैसी बेटियां अब हवा से बात कर रही हैं और देश को नई ऊंचाइयों तक पहुंचा रही हैं। राज्य के साहसिक खेल विभाग और स्थानीय प्रशासन ने भी अलीशा की इस ऐतिहासिक भागीदारी पर बधाई दी है और भविष्य में उन्हें हरसंभव सहयोग देने का आश्वासन दिया है।
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भारतीय पैराग्लाइडिंग समुदाय के लिए यह एक मील का पत्थर है। अब तक जहां भारत में इस खेल को पुरुष प्रधान माना जाता था, अब अलीशा की इस भागीदारी के बाद महिलाओं के लिए भी अंतरराष्ट्रीय मंच के द्वार खुल गए हैं।