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December 4, 2025

हिमाचल में बदल गई इस लड़की की जिंदगी: 14 साल की सेवा, अब राष्ट्रपति से मिला सम्मान..

दिव्यांग बच्चों के लिए काम करती है श्रुति की संस्था

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Shruti More Bhardwaj

कुल्लू। हिमाचल प्रदेश का नाम एक बार फिर राष्ट्रीय स्तर पर चमका है। इसका कारण बनीं हैं श्रुति मोरे भारद्वाज जिन्हें हिमाचल में दिव्यांग बच्चों के लिए काम करने के लिए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने दिल्ली में सम्मानित किया है। इस सम्मान के साथ वे हिमाचल की सच्ची सेवर बनकर उभरीं हैं।

श्रुति मोरे की सेवाओं को मिली मान्यता

श्रुति को दिव्यांगता के क्षेत्र में सर्वश्रेष्ठ पुनर्वास पेशेवर (Best Rehabilitation Professional) का पुरस्कार मिला है। ये सम्मान अंतर्राष्ट्रीय दिव्यांगजन दिवस के मौके पर दिया गया। इसे हिमाचल में उनकी लंबे समय से चली आ रही सेवाओं की बड़ी मान्यता माना जा रहा है।

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दिव्यांग लड़की ने बदली जीवन दिशा

साल 2011 में मुबंई की रहने वाली श्रुति मोरे साइकिल अभियान के तहत पहली बार कुल्लू पहुंची थीं। इसी दौरान उनकी मुलाकात एक दिव्यांग लड़की शोनाली से हुई जिसने उनकी सोच और जीवन की दिशा बदल दी और आज का दिन है, श्रुति ने दिव्यांग बच्चों की मदद के लिए राष्ट्रीय मंच पर जाकर राष्ट्रपति से पुरस्कार लिया है। 

NGO से शुरू सफर संस्थान में बदला

दरअसल श्रुति ने कुल्लू में दिव्यांग बच्चों के पुनर्वास में कमी देखकर यहां काम करने का फैसला लिया था। उन्होंने एक स्थानीय NGO के साथ शुरुआत की थी। बाद में सामफिया फाउंडेशन नाम की संस्था की स्थापना की जो विशेष रूप से उन बच्चों के लिए काम करती है जो शारीरिक और मानसिक विकलांगताओं से जूझ रहे हैं। 

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गांवों में जा लोगों को किया जागरूक

श्रुति ने कुल्लू में एकीकृत पुनर्वास सेवाओं की शुरुआत कर बच्चों को विशेष शिक्षा, प्रारंभिक हस्तक्षेप और थैरेपी उपलब्ध करवानी शुरू की। श्रुति की सामफिया फाउंडेशन की मदद से कुल्लू में पहली बार व्यवस्थित पुनर्वास कार्यक्रम शुरू हुए। श्रुति की टीम हर रोज विभिन्न गांवों में पहुंचकर परिवारों को जागरूक करती और बच्चों को सहायता देती है।

बच्चों के घरों के नजदीक दी गई थैरेपी

कोविड के दौरान तो श्रुति ने कमाल ही कर दिया था। उनकी ‘थैरेपी ऑन व्हील्स’ नाम की पहल एक ऐतिहासिक पहल बन गई। ये देश का पहला मोबाइल पुनर्वास प्रोजेक्ट है जो दूरदराज के उन बच्चों तक थैरेपी पहुंचाता है जो केंद्र तक नहीं आ सकते। एक खास डिजाइन की वैन में थैरेपी सेटअप बनाय गया है जो गांव-गांव जाकर बच्चों को उनके घर के पास थैरेपी देती है। 

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सामफिया संस्था को मिले कई सम्मान

साल 2022 में थैरेपी ऑन व्हील्स को यूनाइटेड नेशन्स (United Nations) ने ऑस्ट्रेलिया में सम्मानित किया था। सामफिया फाउंडेशन को दिव्यांगता के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के लिए कई अन्य राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय अवॉर्ड भी मिल चुके हैं। अब राष्ट्रीय पुरस्कार ने श्रुति के इस कार्य को नई प्रतिष्ठा प्रदान की है। ये अवॉर्ड श्रुति के निरंतर प्रयासों के चलते उनकी संस्था को मिले हैं।

'सामफिया' ने बदी कई लोगों की सोच

श्रुति की सामफिया फाउंडेशन सिर्फ थैरेपी ही नहीं बल्कि लगातार जागरूकता का काम भी कर रही है। स्कूल और कॉलेजों में अवेयरनेस कैंप आयोजित किए जाते हैं ताकि माहौल सकारात्मक हो सके। अभिभावकों को थैरेपी के महत्व के बारे में समझाया जाता है जिसके बाद बड़ी संख्या में परिवार मदद लेने के लिए आगे आते हैं। 

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