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October 12, 2025
इस फल ने बदली हिमाचल के रवि की किस्मत, 864 पौधे उगाकर छाप रहे नोट
₹250 किलो में बिक रहा है फल
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हमीरपुर। हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर जिले के राजेंद्र कुमार एक फल की खेती कर लाखों रुपये कमा रहे हैं। उनका ये प्रयास उन्हें प्रगतिशील किसानों की सूची में शामिल करता है। गौरतलब है कि हिमाचल प्रदेश में कुछ इलाके ऐसे हैं जहां का वातावरण फलों के उत्पादन के लिए एक दम सही माना जाता है। फिर आते हैं हमीरपुर जैसे कम ऊंचाई व कम नमी वाले क्षेत्र। इन क्षेत्रों में भी फल उत्पादन की संभावनाएं हैं।
प्रदेश सरकार ने इन क्षेत्रों में आम, अमरूद व नींबू प्रजाति के फलों की खेती को बढ़ावा देने की दिशा में उद्यान विभाग के जरिए सराहनीय प्रयास किए हैं व एचपीशिवा परियोजना जैसी महत्वाकांक्षी योजना आरंभ की हैं।
अब उद्यान विभाग इन क्षेत्रों में लीक से हटकर अन्य फलों की खेती की संभावनाएं भी तलाश रहा है। इसी दौरान विभाग को जिले के कुछ ऐसे प्रगतिशील किसान मिले हैं जो इस क्षेत्र में कुछ नया करने का जज्बा रखते हैं। इन्हीं किसानों में से एक हैं भोरंज उपमंडल के गांव पपलाह के राजेंद्र कुमार।
राजेंद्र कुमार ने कुछ सालों पहले यूट्यूब पर ड्रैगन फ्रूट के बारे में जाना था। इसके बाद उनमें इसकी खेती के लिए उत्सुकता जगी। फिर उन्होंने और जानकारी हासिल कर महाराष्ट्र में जाकर इसका प्रशिक्षण लिया।
फिर राजेंद्र ने उद्यान विभाग से लगभग 30 हजार की सब्सिडी लेकर पांच कनाल जमीन पर ड्रैगन फ्रूट का बागीचा लगाया। उन्होंने पौधे लगाने के लिए बगीचे में विशेष प्रकार के 216 पोल लगाए व हर पोल पर 4-4 पौधे लगाए।
इस तरह उनके बगीचे में कुल 864 पौधे लगे हैं व इस सीजन में कुछ पौधों में पहली फसल भी आ गई है। राजेंद्र बताते हैं कि शुरुआती दौर में ही उनके बागीचे में लगभग 5 क्विंटल पैदावार हुई है। फल को बाजार में 250 प्रति किलो दाम बड़ी आसानी से मिल जाते हैं।
राजेंद्र कुमार उर्फ रवि बताते हैं कि एक पोल लगाने और उस पर 4 पौधे लगाने पर दो से ढाई हजार तक का खर्च होता है लेकिन एक बार पौधा तैयार हो जाए तो वो किसान को लगातार अच्छी आय देता है।
राजेंद्र ये भी बताते हैं कि ऐसा करने में ज्यादा मेहनत भी नहीं करनी पड़ती व बाजार में दाम भी अच्छे मिल जाते हैं इसलिए ड्रैगन फ्रूट की खेती किसानों-बागवानों के लिए फायदेमंद साबित हो सकती है।
राजेंद्र कुमार उर्फ रवि मैहर ने पांच कनाल जमीन पर ड्रैगन फ्रूट का बागीचा व नर्सरी तैयार कर एक नया प्रयोग ही नहीं किया बल्कि जिले में फल उत्पादन की नई संभावनाओं को भी बल दिया है।
राजेंद्र कुमार बताते हैं कि अब उन्होंने ड्रैगन फ्रूट की नर्सरी तैयार कर ली है जहां से दूसरे किसान भी इसके पौधे ले सकते हैं। राजेंद्र कुमार का ये बागीचा किसानों-बागवानों के लिए प्रेरणा बन गया है।