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March 25, 2025
हिमाचल: नर्स की नौकरी छोड़ पाली गाय, लोग उड़ाते थे मजाक- अब महीने का कमा रही 2.5 लाख
लोगों ने बनाया मजाक और अमूल डेयरी खरीदता है दूध
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बिलासपुर। कहते है ना कि पूत के पांव पालने में दिख जाते है और इस मुहावरे को चरितार्थ कर दिखाया है पूनम ठाकुर ने। पहले नर्सिंग की पढ़ाई कर नौकरी की, फिर नौकरी छोड़ एक बड़ा सपना देखा और आज कीर्तिमान स्थापित कर अपना और अपने परिवार का नाम रोशन किया है।
जिला बिलासपुर के घुमारवीं उपमंडल की पंचायत बाड़ी के गांव करगोड़ा की रहने वाली पूनम ठाकुर ने अपनी जिद और मेहनत से एक मिसाल पेश की है। मात्र नौ महीनों में इसे एक सफल व्यवसाय में बदल दिया। पूनम ने मुख्यमंत्री स्वाबलंबन योजना के तहत पशुपालन को अपने व्यवसाय के रूप में चुना और आज वह अपनी डेयरी फार्मिंग से हर महीने ढ़ाई लाख रुपये की आय प्राप्त कर रही हैं।
पूनम का यह निर्णय उनके आत्मनिर्भर बनने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हुआ। उनका कहना है कि शुरूआत में लोगों ने उनका मजाक उड़ाया और आलोचना की, लेकिन उन्होंने अपनी मेहनत और दृढ़ निश्चय से सबको गलत साबित कर दिया। आज वह एक सफल व्यवसायी के रूप में स्थापित हो चुकी हैं और गाय पालन के क्षेत्र में एक प्रेरणा बन गई हैं।आज वह प्रतिमाह 2.5 लाख रुपये तक की आय प्राप्त कर रही हैं।
पूनम ने इस काम की शुरुआत मुख्यमंत्री स्वाबलंबन योजना से किया, जिसके तहत उन्होंने भटिंडा के गुरविंदर डेयरी फार्म से एक होस्टन गाय को 1,40,000 रुपये में खरीदी। इसके बाद उन्होंने उसी फार्म से 6 होस्टन, 4 जर्सी और 1 साहिवाल गाय को भी खरीदी और उनकी देखभाल शुरू की। आज उनके पास कुल 11 गायें हैं और वह रोजाना करीब 230 लीटर दूध का उत्पादन कर रही हैं, जिसे वह निरंतर अमूल कंपनी को सप्लाई कर रही हैं।
पूनम ठाकुर के मेहनत का परिणाम यह हुआ कि उनके फार्म की गायों ने राज्य स्तरीय नलवाड़ी मेला बिलासपुर में पुरस्कार जीते। उन्होंने अपने चार पशुओं को मेला में ले जाया, जहां गायों को विभिन्न श्रेणियों में पहला, तीसरा और चौथा स्थान प्राप्त हुआ। यह उनके लिए गर्व का क्षण था, क्योंकि राज्य स्तरीय मेला में सिर्फ वह एक महिला थीं, जिन्होंने अपनी गायों को लेकर भाग लिया और पुरस्कार जीता।
पूनम ने अपनी डेयरी फार्मिंग से न केवल खुद को सशक्त किया, बल्कि उन्होंने तीन अन्य लोगों को रोजगार भी दिया है। वह खुद रोजाना सुबह साढ़े पांच बजे फार्म पहुंचती हैं और गायों के दूध उत्पादन, चारा खिलाने और अन्य कामों में व्यस्त हो जाती हैं। उनके फार्म में दूध का उत्पादन और गायों की नस्ल सुधारने का काम भी चल रहा है। वह एचएफ गायों का पालन कर रही हैं और उनकी नस्ल सुधारने का काम भी कर रही हैं। कुछ समय बाद, उनकी बछड़ियाँ दूध देने योग्य हो जाएंगी, जो उनकी आय का और एक स्रोत बन जाएंगी।
पूनम ठाकुर का यह कदम महिला सशक्तिकरण और आत्मनिर्भरता की ओर एक बड़ा कदम है। उन्होंने यह साबित कर दिया कि अगर महिलाओं को सही अवसर और सहयोग मिले, तो वह किसी भी क्षेत्र में सफलता हासिल कर सकती हैं। उनके संघर्ष और सफलता की कहानी अन्य महिलाओं के लिए एक प्रेरणा है, जो अपने सपनों को पूरा करने के लिए किसी न किसी प्रकार की चुनौती का सामना करती हैं।