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June 9, 2025

हिमाचल के छोटे से गांव का बेटा बना डिजाइनर, देशभर में चमकाया नाम; पाया 48वां रैंक

IIT मुंबई में इंटरेक्शन डिज़ाइन प्रोग्राम में मिला दाखिला

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Prajwal Dhiman kangra

कांगड़ा/धर्मशाला। हिमाचल प्रदेश के कई युवा अपनी मेहनत के दम पर बड़े बड़े मुकाम हासिल कर रहे हैं। प्रदेश की युवा पीढ़ी ने यह साबित कर दिया है कि अगर कड़ी मेहनत की जाए तो किसी भी मंजिल को हासिल किया जा सकता है। हिमाचल के कांगड़ा जिला के छोटे से गांव झियोल के होनहार बेटे ने प्रज्वल धीमान ने भी कुछ ऐसा ही कर दिखाया है। प्रज्वल धीमान ने कॉमन एंट्रेंस एग्ज़ाम फॉर डिज़ाइन (CEED) 2025 में ऑल इंडिया रैंक 48 प्राप्त कर प्रदेश का नाम रोशन किया है।

IIT मुंबई में इंटरेक्शन डिज़ाइन प्रोग्राम में मिला दाखिला

धर्मशाला के साथ लगते छोटे से गांव झियोल के रहने वाले प्रज्वल धीमान की इस उपलब्धि से ना सिर्फ उसके परिवार को गौरविंत किया है, बल्कि पूरे गांव और जिला का नाम रोशन कर दिया है। इस ऐतिहासिक उपलब्धि के साथ ही प्रज्वल को देश के सर्वोच्च तकनीकी शिक्षण संस्थानों में से एक भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) मुंबई में इंटरेक्शन डिज़ाइन (M.Des) प्रोग्राम में दाखिला मिल गया है।

 

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शिक्षा और करियर का अब तक का सफर

प्रज्वल की प्रारंभिक शिक्षा सेक्रेड हार्ट सीनियर सेकेंडरी स्कूल, सिधपुर धर्मशाला से हुई। इसके बाद उन्होंने राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान  (NIT)  हमीरपुर से आर्किटेक्चर में स्नातक (B.Arch) की डिग्री प्राप्त की। उच्च शिक्षा के दौरान ही उन्हें डिज़ाइन के क्षेत्र में रुचि विकसित हुई, जो आगे चलकर उनके करियर की दिशा भी तय करने वाली साबित हुई।

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स्नातक के पश्चात प्रज्वल ने बेंगलुरु स्थित एक उभरते हुए UPI आधारित स्टार्टअप क्रेडिट पे में डिज़ाइनर के रूप में कार्य किया, जहां उन्होंने यूज़र एक्सपीरियंस और डिज़ाइन की बारीकियों को व्यावहारिक रूप से समझा और निखारा। यहीं से उन्होंने तय किया कि डिज़ाइन के क्षेत्र में गहराई से काम करना है और इसके लिए देश के सर्वोत्तम संस्थानों में उच्च शिक्षा आवश्यक है।

CEED की कठिन राह और शानदार सफलता

प्रज्वल ने पूर्ण समर्पण और योजना के साथ CEED की तैयारी शुरू की और ग्रामीण पृष्ठभूमि से आने के बावजूद समस्त भारत के प्रतिभागियों के बीच 48वीं रैंक हासिल कर ली। यह परीक्षा देशभर में डिज़ाइन शिक्षा में दाखिले के लिए सबसे प्रतिष्ठित परीक्षाओं में मानी जाती है और इसमें उत्कृष्ट रैंक प्राप्त करना आसान नहीं होता।

परिवार से मिली प्रेरणा

अपनी सफलता के पीछे प्रज्वल सबसे अधिक श्रेय अपने माता.पिता विजय कांत धीमान और इन्दु बाला को देते हैं, जिन्होंने हमेशा उन्हें प्रोत्साहित किया और हर कदम पर साथ दिया। वे अपने बड़े भाई प्रणय कांत धीमान जो वर्तमान में हिमाचल प्रदेश सचिवालय में कार्यरत हैं, को भी अपनी प्रेरणा मानते हैं। प्रणय की मेहनत और समर्पण ने प्रज्वल को हमेशा आगे बढ़ने का हौसला दिया।

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प्रज्वल का कहना है कि उनका परिवार ही उनकी असली ताकत है। वे मानते हैं कि अगर परिवार का समर्थन हो और व्यक्ति में दृढ़ निश्चय हो, तो कोई भी बाधा सफलता के मार्ग में नहीं आ सकती। प्रज्वल की यह उपलब्धि निश्चित रूप से उन हजारों युवाओं के लिए एक प्रेरणा है जो सीमित संसाधनों में भी बड़े सपने देखने की हिम्मत रखते हैं।

युवाओं को संदेश

प्रज्वल का स्पष्ट संदेश है अगर इच्छाशक्ति होए तो कोई भी मंज़िल दूर नहीं। ग्रामीण पृष्ठभूमि कभी भी किसी की कमजोरी नहीं हो सकतीए बल्कि यह मेहनत और संघर्ष की सबसे मजबूत ज़मीन होती है।

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