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June 9, 2025
सावधान हिमाचल! गंदा पानी पीने से किडनी हो रही खराब, दोगुनी रफ्तार से बढ़ रहे मरीज- जानें
पेयजल में जरूरत से ज्यादा क्लोरीन मिलने से भी किडनी प्रभावित हो सकती है
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शिमला। हिमाचल प्रदेश में लोगों के खानपान की आदतों में आई लापरवाही का असर अब सीधा उनकी सेहत पर पड़ने लगा है। प्रदेशभर के अस्पतालों में पेट में दर्द की तकलीफ होने की शिकायत लेकर पहुंचने वाले मरीजों में किडनी की बीमारी र के मामले चिंताजनक रूप से बढ़े हैं।
क्रॉनिक किडनी डिजीज (CKD) एक खामोश महामारी के रूप में पनप रही है। HPU के एक विस्तृत अध्ययन में इस बीमारी के खतरनाक बढ़ाव को लेकर गंभीर संकेत मिले हैं। अध्ययन के अनुसार, शिमला जिला इस रोग का सबसे बड़ा केंद्र बनकर उभरा है, जहां कुल मरीजों में से 39.9% अकेले इसी जिले से हैं।
अध्ययन वर्ष 2014 से 2023 के बीच IGMC में इलाज के लिए पहुंचे कुल 2,609 सीकेडी मरीजों के आंकड़ों पर आधारित है। इसके अनुसार, 2023 में अकेले 16.9% मामले सामने आए, जबकि 2017 में ये आंकड़ा मात्र 6% था। यह दशकों में तेजी से बढ़ती किडनी बीमारी की गंभीर तस्वीर पेश करता है।
अध्ययन में पाया गया कि शिमला जिले के बाद मंडी (14.5%), सोलन (10%) और कुल्लू (8.6%) जिलों से भी काफी मरीज सामने आए हैं। जबकि, लाहौल-स्पीति जैसे क्षेत्रों में मरीजों की संख्या बहुत कम (0.6%) रही। इसका मुख्य कारण वहां की कम आबादी और अलग भौगोलिक परिस्थिति को माना गया।
IGMC शिमला की नेफ्रोलॉजिस्ट डॉ. कामाक्षी सिंह के अनुसार, शूगर, ब्लड प्रेशर, यूरिन में प्रोटीन लीक और गुर्दे की आंतरिक बीमारियां इस बीमारी के मुख्य कारण हैं। वहीं, HPU की टीम ने शुद्ध पेयजल की कमी, संतुलित खानपान का अभाव, धूम्रपान, शराब, तनाव, और जीवनशैली में अव्यवस्था को भी बड़ी वजह बताया है। यह भी सामने आया है कि कई बार पेयजल में जरूरत से ज्यादा क्लोरीन मिलने से भी किडनी प्रभावित हो सकती है।
अध्ययन के अनुसार, कुल मरीजों में 60.2% पुरुष और 39.8% महिलाएं थीं। सबसे अधिक मामले 57-67 वर्ष और 68 से अधिक आयु वर्ग के लोगों में सामने आए हैं। 17 वर्ष से कम आयु के मामलों की संख्या बहुत कम पाई गई है।
सीकेडी का इलाज बहुत महंगा और जटिल होता है, खासकर तब जब मरीज डायलिसिस या ट्रांसप्लांट तक पहुंच जाए। इस रिपोर्ट के निष्कर्ष हिमाचल की सरकार और स्वास्थ्य संस्थाओं के लिए एक गंभीर चेतावनी हैं।