#अपराध
November 4, 2025
शिक्षक हैं या शैतान? स्टूडेंट को किया टॉर्चर- पैंट में डाला बिच्छू, कान का पर्दा भी फाड़ दिया
पहली कक्षा में पढ़ता है छात्र- प्रिंसिपल समेत 3 टीचर सस्पेंड
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शिमला। शिक्षा के मंदिर से एक बार फिर इंसानियत को शर्मसार कर देने वाली खबर सामने आई है। शिमला जिले के रोहड़ू उपमंडल के खड़ापानी क्षेत्र के एक सरकारी प्राथमिक विद्यालय में आठ वर्षीय दलित छात्र के साथ शिक्षकों द्वारा बर्बरता की हदें पार करने का मामला उजागर हुआ है।
आरोप है कि स्कूल के शिक्षकों ने न केवल बच्चे के साथ बार-बार मारपीट की, बल्कि उसकी पैंट में जिंदा बिच्छू रखकर उसे डराने और यातना देने का अमानवीय कृत्य भी किया। इस घटना के बाद बच्चा काफी सहमा हुआ है।
पीड़ित छात्र पहली कक्षा में पढ़ता है और उसके पिता ने इस संबंध में पुलिस में विस्तृत शिकायत दर्ज करवाई है। शिकायत में उन्होंने स्कूल के हेडमास्टर देवेंद्र, शिक्षक बाबू राम और कृतिका ठाकुर के खिलाफ गंभीर आरोप लगाए हैं।
पिता का कहना है कि बीते लगभग एक वर्ष से उनके बेटे को लगातार प्रताड़ित किया जा रहा था। बार-बार पिटाई से बच्चे के कान से खून आने लगा और उसके कान का पर्दा फट गया।
शिकायत के अनुसार, एक दिन शिक्षकों ने छात्र को स्कूल के शौचालय में ले जाकर उसकी पैंट में बिच्छू डाल दिया। बच्चे ने यह बात जब घर आकर बताई तो माता-पिता सन्न रह गए। परिजनों का आरोप है कि यह सब केवल इसलिए किया गया क्योंकि बच्चा दलित समुदाय से है और स्कूल में जातिगत भेदभाव लंबे समय से जारी है।
रोहड़ू पुलिस ने इस घटना के बाद भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धाराओं 127(2) (ग़ैरक़ानूनी तरीके से कैद), 115(2) (जानबूझकर चोट पहुंचाना), 351(2) (आपराधिक धमकी) और 3(5) (साझा इरादे से अपराध) के तहत मामला दर्ज किया है। इसके अलावा, किशोर न्याय अधिनियम के अंतर्गत "बच्चे के प्रति क्रूरता" की धाराएं भी लगाई गई हैं।
साथ ही, इस घटना की गंभीरता को देखते हुए पुलिस ने अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम की धाराएं भी जोड़ी हैं, जिनमें किसी दलित व्यक्ति की मानवीय गरिमा को ठेस पहुँचाने या अपमानजनक व्यवहार करने पर सख्त सजा का प्रावधान है।
पीड़ित बच्चे के पिता ने बताया कि जब उन्होंने शिक्षकों से बेटे की पिटाई पर सवाल उठाया, तो उन्हें डराने-धमकाने की कोशिश की गई। आरोप है कि शिक्षकों ने चेतावनी दी “अगर तूने यह बात घर या पुलिस में कही, तो तुझे जला देंगे। सोशल मीडिया पर कुछ डाला तो जान से हाथ धोना पड़ेगा।
उन्होंने यह भी कहा कि शिक्षकों ने बच्चे को यह कहकर डराया कि अगर तुमने घर में बताया, तो पुलिस तुम्हें गिरफ्तार कर लेगी। इस वजह से बच्चा कई दिनों तक स्कूल जाने से डरता रहा।
शिकायतकर्ता ने एक और खुलासा किया है कि आरोपित शिक्षिका कृतिका ठाकुर का पति नितीश ठाकुर पिछले एक साल से स्कूल में उनकी जगह छात्रों को पढ़ा रहा है- जबकि वह स्कूल का कर्मचारी नहीं है। पिता का कहना है कि स्कूल प्रशासन को इसकी जानकारी होते हुए भी कोई कार्रवाई नहीं की गई।
शिकायत में यह भी उल्लेख किया गया है कि स्कूल में जातिगत भेदभाव खुलेआम किया जाता है। दोपहर के भोजन (मिड-डे मील) के समय नेपाली और हरिजन बच्चों को ऊँची जाति के छात्रों से अलग बैठाया जाता था, जिससे बच्चों में अपमान और हीनता की भावना पैदा होती है।
यह कोई पहला मामला नहीं है जब रोहड़ू क्षेत्र से शिक्षा संस्थानों में जातिगत भेदभाव या छात्र उत्पीड़न की खबर आई हो। पिछले सप्ताह ही गवाना क्षेत्र के सरकारी प्राथमिक विद्यालय में एक शिक्षक को छात्र को कांटेदार झाड़ी से पीटने के आरोप में निलंबित किया गया था।
इससे पहले लिमड़ा गांव में एक 12 वर्षीय दलित छात्र ने आत्महत्या कर ली थी। आरोप था कि ऊँची जाति की कुछ महिलाओं ने उसके घर में प्रवेश करने पर उसे गौशाला में बंद कर दिया था, जिसके अपमान से आहत होकर उसने अपनी जान दे दी।
पुलिस ने कहा है कि मामले की गंभीरता को देखते हुए वरिष्ठ अधिकारियों से यह दिशा-निर्देश मांगे गए हैं कि क्या जांच किसी राजपत्रित अधिकारी से करवाई जाए। वहीं, पीड़ित परिवार ने मुख्यमंत्री और शिक्षा विभाग से भी अपील की है कि दोषी शिक्षकों को तत्काल निलंबित कर गिरफ्तार किया जाए, ताकि आगे कोई बच्चा इस तरह की अमानवीयता का शिकार न बने।