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November 18, 2025
हिमाचल: भाई की तड़प-तड़प कर गई थी जा*न, इस दर्द को ताकत बनाकर अंजू बनी एंबुलेंस चालक
अपने दर्द से सीख लेकर अंजू ने बचाई अब तक कई लोगों की जान
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कांगड़ा। हिमाचल की बेटियां अब सीमाएं तोड़कर हर उस क्षेत्र में कदम रख रही हैं, जिन पर कभी पुरुषों का ही आधिपत्य था। वो न सिर्फ पहले से कठिन समझे जाने वाले कामों में उतर रही हैं, बल्कि अपनी योग्यता और साहस से उन क्षेत्रों में भी पहचान बना रही हैं, जहां कभी महिलाओं की सहभागिता की कल्पना तक नहीं की जाती थी। ऐसी ही एक बेटी आज हिमाचल के कांगड़ा जिला के नूरपुर की सड़कों पर सायरन बजाते हुए ना सिर्फ एंबुलेंस को भगा रही है, बल्कि अब तक वह कई लोगों की जान भी बचा चुकी है।
हम बात कर रहे हैं नूरपुर उपमंडल के गंगथ गांव की बेटी अंजू की। जब अंजू की एंबुलेंस सड़कों से गुजरती है तो देखने वालों के मन में डर नहीं, बल्कि भरोसा जागता है। अंजू द्वारा एंबुलेंस चलाने के पीछे एक ऐसी कहानी छिपी है, जिसमें एक बेटी ने अपने गहरे दर्द को दूसरों की सेवा की ताकत में बदल दिया है।
दिसंबर 2023 की ठंडी शाम अंजू के परिवार की जिंदगी में ऐसा तूफान लेकर आई, जिसे वे आज तक भूल नहीं पाए। सड़क हादसे में उनके बड़े भाई घायल हुए। परिवार हर एक सेकंड को उम्मीद की तरह थामे इंतजार करता रहा, लेकिन एंबुलेंस वक्त पर नहीं पहुंच पाई। थोड़ी सी देरी और अंजू से उनका भाई हमेशा के लिए बिछड़ गया। इस घटना ने अंजू के मन में गहरा घाव तो दिया, पर साथ ही एक मजबूत संकल्प भी, अब किसी परिवार को इस देरी की कीमत न चुकानी पड़े।
भाई की याद और उस भयावह दिन की पीड़ा ने अंजू को एंबुलेंस ड्राइवर बनने का मजबूत निर्णय लेने पर मजबूर किया। उन्होंने न केवल खुद को संभाला बल्कि अपने लक्ष्य की ओर कदम बढ़ाए। जसूर स्थित एचआरटीसी प्रशिक्षण केंद्र से उन्होंने 60 दिन का ड्राइविंग प्रशिक्षण पूरा किया। भरमौर कॉलेज से बीए कर चुकी अंजू ने इरादा किया कि जरूरतमंदों की मदद करना ही अब उनका जीवन उद्देश्य होगा।
अंजू वर्तमान में रणजीत बक्शी जनकल्याण सभा द्वारा नूरपुर अस्पताल को उपलब्ध करवाई गई एंबुलेंस की चालक हैं। वह अब तक कई गंभीर मरीजों को चंडीगढ़,अमृतसर, शिमला और टांडा जैसे बड़े अस्पतालों तक पहुंचा चुकी हैं। कई परिवार उनकी वजह से अपने प्रियजनों को बचा पाए हैं। लोग उन्हें सिर्फ एक ड्राइवर नहीं, बल्कि संकट घड़ी की सबसे भरोसेमंद साथी मानते हैं।
अंजू का कहना है कि महिलाएं किसी भी क्षेत्र में पीछे नहीं हैं। अगर मन में हौसला हो तो कोई भी मुश्किल रास्ता आसान हो सकता है। सोशल मीडिया पर भी सक्रिय अंजू आज हिमाचल की उन प्रेरक महिलाओं में शामिल हो चुकी हैं जो यह संदेश देती हैं कि सबसे गहरा दुःख, सबसे महान सेवा का बीज भी बन सकता है। दर्द से शुरू हुई यह कहानी आज कई जिंदगियों की धड़कन बन चुकी है। अंजू सिर्फ एंबुलेंस नहीं चलातीं, बल्कि हर सफर में उम्मीद और जीवन की नई राह लेकर चलती हैं।