#उपलब्धि
June 28, 2025
हिमाचल : 60 KM का सफर तय कर पढ़ने जाती थी अंजलि, कॉर्मस में किया टॉप; नाना-नानी हुए भावुक
नाना-नानी की लाडली है अंजलि- बचपन ने रहती है उन्हीं के पास
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चंबा। कहते हैं कि हौसले बुलंद हों तो मुश्किलें राह नहीं रोकती, जो सितारे छूना जानते हैं, उन्हें ज़मीन नहीं रोकती। हिमाचल प्रदेश के चंबा जिले की बेटी अंजलि शर्मा ने यह साबित कर दिया कि सच्ची लगन और निरंतर मेहनत से हर मंजिल को पाया जा सकता है।
हाल ही में सरदार पटेल विश्वविद्यालय मंडी द्वारा घोषित BCOM तृतीय वर्ष के परीक्षा परिणाम में बीटीसी डीएवी महाविद्यालय बनीखेत की इस मेधावी छात्रा ने प्रदेश मैरिट में दूसरा स्थान हासिल कर न केवल अपने कॉलेज का नाम रोशन किया, बल्कि पूरे चंबा जिले को गौरवान्वित किया।
उपमंडल डलहौजी की समलेउ पंचायत के खैरी गांव की रहने वाली अंजलि बचपन से ही अपने नाना-नानी हेमराज शर्मा और विद्या शर्मा के साथ रही हैं। उनका पालन-पोषण जिस स्नेह और समर्थन के साथ हुआ, वही उनके मजबूत व्यक्तित्व की नींव बना। मामा मनोहर शर्मा ने भी कभी शिक्षा को लेकर कोई समझौता नहीं किया और हर मोड़ पर उनका मार्गदर्शन किया।
केंद्रीय विद्यालय खैरी से 10वीं तक की पढ़ाई और 12वीं में 91.4 प्रतिशत अंक प्राप्त करने के बाद अंजलि ने बीटीसी डीएवी कॉलेज बनीखेत से BCOM की पढ़ाई शुरू की। विशेष बात यह रही कि अंजलि हर दिन 30 किलोमीटर दूर से कॉलेज आने-जाने का सफर तय करती थीं, यानी प्रतिदिन 60 किलोमीटर का संघर्ष भरा सफर। फिर भी उन्होंने कभी थकान या दूरी को अपनी पढ़ाई में आड़े नहीं आने दिया।
अंजलि न केवल पढ़ाई में अव्वल रहीं, बल्कि नाना-नानी की सेवा और घर के कार्यों में भी बराबर की भागीदार रहीं। उनका मानना है कि शिक्षक, परिवार और आत्मविश्वास की तिकड़ी अगर साथ हो, तो कोई भी लक्ष्य मुश्किल नहीं होता।
अंजलि का सपना अब एक अच्छी शिक्षिका बनकर समाज को शिक्षा के माध्यम से रोशन करने का है। वे चाहती हैं कि आने वाली पीढ़ियों को ऐसा मार्गदर्शन दे सकें, जैसा उन्हें मिला। अंजलि की इस उपलब्धि के बाद उसके नाना-नानी काफी भावुक हो गए। उनके खुशी के आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे थे।
अपनी सफलता का श्रेय उन्होंने कॉलेज की प्राचार्य डॉ. रंजू बाला पटियाल, शिक्षक नरेंद्र कुमार, भारती और सभी अध्यापकों को दिया है। कॉलेज प्रबंधन और स्टाफ ने भी अंजलि की इस उपलब्धि पर गर्व जताया और उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की। शिक्षकों का कहना है कि अंजलि की कहानी उन तमाम बेटियों के लिए प्रेरणा है, जो छोटे गांवों से बड़े ख्वाब देखती हैं। कठिनाइयों से जूझकर भी मुस्कुराते हुए मंज़िल तक पहुंचना वास्तव में अनुकरणीय है।