#हादसा

September 3, 2025

हिमाचल आपदा ने उजाड़ी महिला की दुनिया, मलबे में जिंदा दफन हुए पति और बेटी

महिला की चीखों से सहमा इलाका- आंखों के सामने उजड़ा उसका संसार

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Shimla landslide

शिमला। हिमाचल प्रदेश में इस बार बरसात खूब कहर ढा रही है। भारी बारिश से आई आपदा ने कई परिवारों का नामोनिशान तक मिटा दिया है। जबकि, कुछ लोगों को कभी ना भूलने वाले जख्म दे दिए हैं।

बाप-बेटी की मौत

शिमला जिले के जुन्गा में एक दर्दनाक हादसे में मकान जमींदोज होने से बाप-बेटी की मौत हो गई। मृतकों की पहचान 35 वर्षीय वीरेंद्र कुमार निवासी डूबले और उनकी 6 साल की मासूम बेटी गुड़िया के रूप में हुई है। हादसे में कई पालतू मवेशी भी मलबे में दबकर मर गए। वीरेंद्र की पत्नी घर से बाहर थी, जिसके कारण उनकी जान बच गई।

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उजाड़ दिया पूरा परिवार

देर रात हुए भूस्खलन ने एक परिवार की खुशियां पलभर में छीन लीं। इस दर्दनाक हादसे में महिला का पति और बेटी मलबे में जिंदा दफन हो गए। जबकि, संयोगवश महिला निर्मला की जान बच गई। रात के सन्नाटे में गूंजती निर्मला की चीखें पूरे गांव को झकझोर गईं और देखते ही देखते पूरी घाटी मातम में डूब गई।

घर में सो रहे थे बाप-बेटी

ग्रामीणों के अनुसार हादसे के समय वीरेन्द्र और उनकी बेटी घर के अंदर आराम कर रहे थे, जबकि निर्मला शौचालय गई हुई थीं। अचानक पहाड़ी का हिस्सा टूटकर मकान पर आ गिरा और कुछ ही पलों में पूरा घर मलबे में तब्दील हो गया।

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आंखों के सामने उजड़ी दुनिया

निर्मला की आंखों के सामने उनका संसार बिखर गया। उनकी चीख-पुकार सुनकर बलोग घाटी और मगलेड खड्ड गूंज उठे। ग्रामीण बारिश में दौड़ते हुए मौके पर पहुंचे, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी।

गांव में पसरा मातम

विरेंद्र खेती-बाड़ी और दिहाड़ी-मजदूरी कर परिवार का पालन-पोषण कर रहा था। इस हादसे ने पलभर में हंसते-खलते परिवार को उजाड़ के रख दिया। हादसे के बाद पूरे गांव में मातम पसरा हुआ है। ग

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अकेली रह गई निर्मला

गौरतलब है कि जोट गांव में केवल यही एक परिवार रहता था। वीरेन्द्र के भाई रामकृष्ण का घर कुछ दूरी पर है, लेकिन पूरी घाटी वीरान पड़ी है। निर्मला का कहना है कि अब न घर बचा और न ही परिवार, बस कुछ दर्दनाक यादें रह गई हैं। हादसे के बाद प्रशासन की टीम भी मौके पर पहुंची और शवों को मलबे से निकालकर पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया।

सरकार से मदद की गुहार

ग्रामीणों ने प्रशासन से पीड़िता को तत्काल राहत और स्थायी पुनर्वास की मांग की है। पहाड़ी क्षेत्र में लगातार हो रहे भूस्खलन से लोगों में डर का माहौल है। स्थानीय लोग मानते हैं कि यदि समय रहते यहां सुरक्षा और पुनर्वास के पुख्ता इंतजाम किए जाएं तो कई जिंदगियां बचाई जा सकती हैं।

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