#हादसा
July 2, 2025
हिमाचल में पटिकरी पावर प्रोजेक्ट बहा : अंदर काम कर रहे थे 12 कर्मचारी, पानी का सैलाब देख मची चीख-पुकार
2023 में हुआ था 25 करोड़ का नुकसान
शेयर करें:
मंडी। हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले में 1 जुलाई की रात कुदरत का कहर अपने चरम पर रहा। जिले के सिराज उपमंडल में पटिकरी गांव के समीप स्थित 16 मेगावाट का पटिकरी पावर प्रोजेक्ट भीषण बारिश और बाढ़ के कारण पूरी तरह से नष्ट हो गया। ब्यास नदी की सहायक गुहाड़ खड्ड में अचानक जलस्तर इतना अधिक बढ़ गया कि उसने पूरे प्रोजेक्ट को अपनी चपेट में ले लिया।
इस पावर प्रोजेक्ट के डेम से लेकर गुहाड़ में बने पावर हाउस तक सब कुछ मिट्टी में मिल गया। बिजली परियोजना के एजीएम और प्रभारी श्याम लाल ने बताया कि रातभर हुई भारी बारिश के बाद खड्ड ने ऐसा उग्र रूप ले लिया, जिसकी कल्पना किसी ने नहीं की थी।
प्रोजेक्ट में उस रात 12 कर्मचारी ड्यूटी पर तैनात थे, जिनमें से 8 पावर हाउस में और 4 डेम साइट पर काम कर रहे थे। जब पानी ने विकराल रूप धारण किया, तो कर्मचारियों को जैसे-तैसे जान बचाकर भागना पड़ा। श्याम लाल ने बताया कि यदि कुछ मिनट की भी देरी होती, तो जानमाल की बड़ी हानि हो सकती थी।
मंगलवार सुबह जब प्रबंधन टीम ने स्थल का निरीक्षण किया तो चारों ओर सिर्फ तबाही का मंजर था। पावर हाउस की बिल्डिंग, टरबाइन, कंट्रोल पैनल और डेम की दीवारें—सब कुछ या तो बह चुका था या मलबे के नीचे दब चुका था।
यह परियोजना 2008 में चालू हुई थी, और अब इसका कोई अस्तित्व शेष नहीं रहा। बीते वर्ष भी इस प्रोजेक्ट को 25 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था, जिसके बाद टरबाइनों की मरम्मत और कंट्रोल पैनलों की अदला-बदली की गई थी। इसके अतिरिक्त, छह मीटर ऊंची और 150 मीटर लंबी सुरक्षा दीवार भी बनाई गई थी, लेकिन इस बार पानी ने उस दीवार को भी पार कर लिया।
बाढ़ में एक ठेकेदार की मशीन, एक टिप्पर, और दो कंक्रीट मिक्सिंग मशीनें भी बह गईं। पावर हाउस और डेम को जोड़ने वाला चार किलोमीटर लंबा जल सुरंग मार्ग और 500 मीटर का स्टील पेनस्टॉक भी आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हो चुका है। साथ ही, प्रोजेक्ट तक पहुंचने वाले संपर्क मार्ग भी पूरी तरह टूट गए हैं, जिससे घटनास्थल तक पहुंच पाना मुश्किल हो गया है।
प्रोजेक्ट प्रभारी श्याम लाल ने कहा कि यह तबाही इतनी व्यापक है कि इसे दोबारा शुरू करना संभव नहीं होगा जब तक इसे पूरी तरह नए सिरे से न बनाया जाए। अनुमान है कि कंपनी को अरबों रुपये का नुकसान हुआ है।
यह हादसा न सिर्फ कंपनी के लिए बड़ा आर्थिक झटका है, बल्कि प्रदेश की ऊर्जा संरचना के लिए भी एक गंभीर चेतावनी है। आने वाले दिनों में यदि सुरक्षा मानकों पर गहराई से काम नहीं किया गया, तो राज्य की अन्य जल विद्युत परियोजनाएं भी इसी तरह खतरे में पड़ सकती हैं।