#हादसा

July 2, 2025

हिमाचल फ्लड में बह गया पूरा परिवार, बच्चों के साथ चैन की नींद सो रहे थे पति-पत्नी

इलाके में चारों तरफ मलबा- लापता लोगों को ढूंढना हो रहा मुश्किल

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Mandi Cloud Burst

मंडी। हिमाचल प्रदेश में मंडी जिले में सोमवार देर रात जो हुआ- वो किसी डरावने सपने से कम नहीं। एक ही रात में मंडी के चार अलग-अलग इलाकों में बादल फटने की घटनाएं हुईं। मंडी के थुनाग, जंजैहली, बगशयाड़, धर्मपुर और गोहर इलाकों में बारिश और भूस्खलन ने सब कुछ तहस-नहस कर दिया है।

बच्चों समेत बहा पूरा परिवार

गोहर उपमंडल के तहत स्यांज के पंगलयूर गांव से एक परिवार के चार लोगों को मलबा अपने साथ बहा ले गया। चारों लोग लापता हो गए हैं और उनका अभी तक कोई सुराग नहीं मिल पा रहा है।

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चारों तरफ सिर्फ मलबा

लापता लोगों में दो बच्चे- एक लड़का और लड़की शामिल हैं। इस आपदा में पति-पत्नी और दो बच्चे बहकर कहीं लापता हो गए हैं। चारों का कुछ अता-पता नहीं चल पा रहा है। इलाके में चारों तरफ सिर्फ मलबा ही मलबा नजर आ रहा है। ऐसे में लापता लोगों को ढूंढने में काफी मश्किल आ रही है।

मानसून का तांडव

 विदित रहे कि, मंडी जिले को मानूसन ने कभी ना भूलने वाले गम दे दिए हैं। गोहर उपमंडल की स्यांज पंचायत का शांत और सरल जीवन जीता छोटा-सा गांव पंगलियुर अब सिर्फ मलबे और सन्नाटे में तब्दील हो चुका है। 1 जुलाई की रात करीब 2 बजे जब पूरा गांव गहरी नींद में था, तभी ज्यूणी खड्ड ने रौद्र रूप धारण कर लिया और दो परिवारों के सपनों, यादों और आशियानों को अपने साथ बहा ले गई। जहां कभी बच्चों की हंसी गूंजती थी, जहां आंगन में मिट्टी की खुशबू होती थी, वहां अब सिर्फ टूटी किताबें, बिखरे कपड़े और टूटी चप्पलों के अलावा कुछ नहीं बचा।

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गांव वालों के सामने बर्बादी का मंजर

इस तबाही में दो परिवारों के कुल 9 लोग लापता हो गए, जिनमें से कुछ को तो शायद यह भी समझ नहीं आया होगा कि यह उनके जीवन की आखिरी रात है। स्यांज पंचायत के प्रधान मनोज शर्मा बताते हैं कि जैसे ही उन्हें खबर मिली, वे तुरंत घटनास्थल की ओर दौड़े। लेकिन वहां पहुंचकर सिर्फ सन्नाटा और मलबा था—न चीखें थीं, न कोई पुकार, बस बर्बादी का मंजर और बहता हुआ पानी था।

दो घर पूरी तरह जमींदोज

दो घर पूरी तरह जमींदोज हो चुके थे और उनके साथ ही परिवारों का अस्तित्व भी मिट चुका था। गांववालों की आंखों में आस की चिंगारी थी, मगर दिलों में डर था कि कहीं कोई और न चला जाए। पदम सिंह और उनकी पत्नी का कोई सुराग नहीं मिल पाया है। आपदा के वक्त दोनों घर में सो रहे थे। दोनों को नींद से जागने तक का मौका नहीं मिला और दोनों मकान समेत बह गए।

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गांव की पहचान तक मिट गई

पंगलियुर गांव अब मानो नक्शे से मिटता जा रहा है। यह हादसा सिर्फ एक भौगोलिक तबाही नहीं, बल्कि सामाजिक और भावनात्मक त्रासदी भी है। ग्रामीण अभी भी खुद को संभालने की कोशिश कर रहे हैं। तबाही के बाद का सन्नाटा उस तड़प को बयां करता है जो अब शब्दों में नहीं कही जा सकती।

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