#हादसा
November 12, 2025
हिमाचल : दादा का अंतिम संस्कार करने गया युवक पहाड़ी से गिरा, नहीं बचा बेचारा; मां-पत्नी बेसुध
मां-बाप का इकलौता बेटा था लक्की वर्मा- गहरे सदमे में परिवार
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शिमला। हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला से एक बेहद दुखद खबर सामने आई है। ठियोग उपमंडल के झाखड़ी गांव के समाजसेवा और जनहित के कार्यों में सक्रिय रहे 36 वर्षीय लक्की वर्मा की मंगलवार को पहाड़ी से गिरने से मौत हो गई।
यह हादसा उस समय हुआ जब वे अपने दादा के अंतिम संस्कार के बाद रिश्तेदारों के साथ घर लौट रहे थे। जिस जगह कल उन्होंने अपने दादा को अंतिम विदाई दी थी, आज वहीं से उनकी अपनी चिता उठेगी।
जानकारी के अनुसार, झाखड़ी गांव निवासी लक्की वर्मा मंगलवार दोपहर अपने दादा मस्त राम का अंतिम संस्कार करके लौट रहे थे। रास्ते में अचानक उनका पांव फिसल गया और वे गहरी ढलान में नीचे जा गिरे।
गिरने से उनके सिर पर गंभीर चोटें आईं और मौके पर ही काफी खून बह गया। साथ चल रहे लोगों ने तत्काल उन्हें संभाला और स्थानीय ग्रामीणों की मदद से IGMCअस्पताल, शिमला पहुंचाया। लेकिन डॉक्टरों ने जांच के बाद लक्की को मृत घोषित कर दिया।
परिवार पर दुख का ऐसा पहाड़ टूटा है जिसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती। सोमवार को वृद्ध दादा मस्त राम का निधन हुआ था। मंगलवार को उनका अंतिम संस्कार किया गया, और उसी शाम पोते की असामयिक मौत की खबर घर तक पहुंच गई। आज गांव में दो दिनों के भीतर दादा और पोते दोनों की चिताएं जलने से माहौल बेहद गमगीन है।
लक्की वर्मा ठियोग क्षेत्र में सोशल वर्कर के रूप में पहचाने जाते थे। वे क्षेत्र की समस्याओं और जनहित के मुद्दों को लेकर अक्सर प्रशासन के समक्ष आवाज उठाते थे। स्थानीय युवाओं में वे काफी लोकप्रिय थे और कई सामाजिक अभियानों में सक्रिय भूमिका निभाते रहे। उनकी अचानक हुई मौत से ठियोग क्षेत्र में शोक की लहर दौड़ गई है।
ठियोग के पूर्व विधायक राकेश सिंघा और मौजूदा विधायक कुलदीप सिंह राठौर ने लक्की वर्मा के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है। उन्होंने कहा कि लक्की एक जागरूक और संवेदनशील युवा थे, जिन्होंने हमेशा समाज के लिए काम किया। उनकी असामयिक मृत्यु क्षेत्र के लिए बड़ी क्षति है।
लक्की के पिता लायक राम भारतीय सेना से सेवानिवृत्त जवान हैं। वे अपने इकलौते बेटे के निधन से पूरी तरह टूट चुके हैं। परिवार में अब लक्की की मां और पत्नी ही रह गई हैं, जबकि उनकी दोनों बहनों की शादी पहले ही हो चुकी है। गांव के लोग बताते हैं कि लक्की अपने माता-पिता का एकमात्र सहारा थे और हमेशा परिवार के साथ-साथ समाज के लिए भी समर्पित रहे।
झाखड़ी गांव में बुधवार सुबह से ही मातम पसरा हुआ है। लोग परिवार के घर पहुंचकर सांत्वना दे रहे हैं, पर हर किसी की आंखों में आंसू हैं। एक ही परिवार में दो दिनों में दो-दो चिताएं जलने से पूरा गांव स्तब्ध है।