#हादसा

March 30, 2025

हिमाचल: मणिकर्ण में पसरा मातम- यलो अलर्ट के बावजूद पहाड़ के नीचे कैसे पार्क हुई गाड़ियां?

मौसम विभाग ने जारी किया था अंधड़ आने का अलर्ट

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कुल्लू। पहाड़ का मौसम कभी भी बदल सकता है, इसलिए उच्चतम सतर्कता की जरूरत होती है। हिमाचल जैसे पहाड़ी राज्य में अक्सर सुनाई देने वाली यह कहावत रविवार को कुल्लू जिले के मणिकर्ण में एकदम सही साबित हुई। मौसम विभाग ने जिले में तेज आंधी की संभावना जताते हुए यलो अलर्ट जारी किया था।

इसके बावजूद प्रशासन ने कोई सुध नहीं ली और मणिकर्ण साहिब गुरुद्वारे के पास पहाड़ से सटकर खड़ी गाड़ियों पर लैंडस्लाइड के साथ काइल का बड़ा पेड़ आ गिरा। इस हादसे में 6 लोगों की मौत हुई है।

जान बचाने का नहीं मिला मौका

एक तो नवरात्र का पहला दिन और दूसरा रविवार की छुट्टी। दोनों मौकों को देखते हुए बड़ी संख्या में टूरिस्ट मणिकर्ण साहिब गुरुद्वारे में अरदास के लिए इकट्ठा हुए थे। घटना के प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, सब-कुछ इतना अचानक हुआ कि पर्यटकों को संभलने और अपनी जान बचाने का मौका ही नहीं मिला।

 

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वीडियो में एक पर्यटक को रोते हुए यह कहते सुना जा सकता है कि "देखो... वो चले गए... वो चले गए..." उसी वीडियो में एक व्यक्ति को खून से लथपथ एक घायल महिला को गोद में उठाए दौड़ते देखा जा सकता है। पुलिस-प्रशासन का कहना है कि पहाड़ी से दरके मलबे में और भी कई लोगों के दबे होने की आशंका है। घटना में 6 लोग घायल हुए हैं, जिनमें से कुछ की हालत गंभीर बताई जाती है।

हादसे से उठे गंभीर सवाल

सबसे बड़ा सवाल तो यह कि मौसम विभाग की चेतावनी के बावजूद स्थानीय प्रशासन ने पहाड़ से सटकर रेहड़ी-फड़ी वालों को खड़े होने की इजाजत कैसे दे दी? पर्यटकों ने उन्हीं दुकानों के आसपास अपनी गाड़ियां पार्क कर दीं और अरदास को चले गए।

 

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कुछ लोग गाड़ियों के पास खड़े रहे और वही लोग लैंडस्लाइड और पेड़ की चपेट में आए, जो हादसे की जगह के नजदीक खड़े थे।

पर्यटकों की सुरक्षा किसकी जिम्मेदारी?

हिमाचल प्रदेश आने वाले हर पर्यटक की सुरक्षा राज्य और स्थानीय पुलिस-प्रशासन की जिम्मेदारी है। लेकिन अक्सर राज्य सरकार और स्थानीय प्रशासन अपनी जिम्मेदारी निभाने में नाकाम ही रहा है।

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खासकर मौसम विभाग की चेतावनी को अमूमन अनदेखा किया जाता है। यलो अलर्ट के चलते कुल्लू समेत हिमाचल प्रदेश के कई जिलों में रविवार को तेज आंधी चली। इसे देखते हुए राज्य सरकार को खतरनाक पहाड़ी इलाकों में पर्यटकों के जमाव को लेकर एडवायजरी जारी करनी थी।

हादसे-दर-हादसे: सबक कोई भी नहीं

ऐसे हादसों में जिला प्रशासन की भूमिका अक्सर रेस्क्यू और राहत कार्यों की रहती है। इसके बजाय अगर समय रहते ऐहतियाती कदम उठाए जाएं तो बेशकीमती जानें बचाई जा सकती हैं। हालांकि, बात चाहे एवलांच की हो या लैंडस्लाइड की, जिला प्रशासन अपनी नाकामी को दूसरी एजेंसियों पर थोपता आया है और यही कारण है कि हादसे-दर-हादसे होने के बाद भी सबक नहीं लिया जा रहा है।

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