#हादसा
September 15, 2025
हिमाचल: जन्मदिन की खुशियां मातम में बदलीं, जिस घर बजने थे जश्न के ढोल, वहां से निकली अ*र्थी
घर में जन्मदिन की हो चुकी थी तैयारी, कफन में पहुंचा बर्थडे मैन
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मंडी। हिमाचल प्रदेश के मंडी जिला से एक दिल को दहला देने वाला मामला सामने आया है। यहां एक घर में जन्मदिन की खुशियां अचानक से आई एक खबर के चलते मातम में बदल गईं। जिस व्यक्ति के जन्मदिन की परिवार ने पूरी तैयारी कर ली थी और सिर्फ बर्थडे मैन का इंतजार हो रहा था, उस घर में बर्थडे मैन की मौत से कोहराम मच गया। जिससे ना सिर्फ परिवार बल्कि पूरे गांव में शोक की लहर दौड़ गई।
मामला मंडी जिला के करसोग उपमंडल का है। जहां रविवार को हिमाचल पथ परिवहन निगम (एचआरटीसी) के अनुभवी ड्राइवर और हिमाचल ड्राइवर यूनियन के उप-प्रधान सुधीर ठाकुर उर्फ़ मोलू का 47वें जन्मदिन पर अचानक निधन हो गया। जिस घर में केक काटने की तैयारियां थीं, वहां उसी दिन अर्थी उठी। दो मासूम बेटियों के सिर से पिता का साया हमेशा के लिए उठ गया।
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रविवार का दिन सुधीर ठाकुर के परिवार के लिए बेहद खास था। परिवार और दोस्तों ने इस साल उनके जन्मदिन को धूमधाम से मनाने की योजना बनाई थी। घर में सजावट हो चुकी थी, केक मंगवाया गया था, और पूरा परिवार सुधीर का इंतज़ार कर रहा था। उनकी दोनों बेटियां पापा के लिए हाथ से कार्ड बनाकर अपने पिता को देने के लिए संभाल कर रख लिए थे। अब बस इंतजार था कि बर्थडे मैन के इंतजार का। हर कोने में उत्साह था, लेकिन किसे पता था कि ये उत्साह पल भर में मातम में बदल जाएगा।
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सुधीर ठाकुर दिल्ली से शिमला एचआरटीसी की बस चलाकर लाए थे। ड्यूटी खत्म होने के बाद वह शिमला से करसोग जा रही दूसरी बस में सवार होकर अपने घर लौट रहे थे। करसोग बस स्टैंड पर जब बस पहुंची और सभी यात्री उतर गए, तो सुधीर अपनी सीट पर वैसे ही बैठे रहे। साथी ड्राइवरों ने जब उन्हें जगाने की कोशिश की, तो देखा कि वह अचेत अवस्था में हैं। तुरंत उन्हें करसोग अस्पताल ले जाया गया, लेकिन डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। बताया गया कि उन्हें दिल का दौरा पड़ा था।
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जब यह खबर सुधीर के परिवार तक पहुंची, तो घर में कोहराम मच गया। उनकी पत्नी और बेटियों की चीखें सुन हर आंख नम हो गई। जिस घर में बधाइयों की गूंज होनी थी, वहां शोक का सन्नाटा पसर गया। फूलों से सजी केक की टेबल अब एक गहरे शून्य की याद दिला रही थी। उनके पैतृक गांव ममेल के बिहाल में सोमवार को पूरे सम्मान और विधि-विधान के साथ अंतिम संस्कार किया गया।
सुधीर ठाकुर को करसोग ही नहीं, बल्कि पूरे हिमाचल में उनकी ईमानदारी, मेहनत और सेवाभाव के लिए जाना जाता था। वे न केवल एक अनुभवी बस चालक थे, बल्कि ड्राइवर यूनियन के उप-प्रधान के तौर पर अपने साथियों की भलाई के लिए हमेशा सक्रिय रहते थे। उन्होंने कई बार ड्राइवरों की समस्याओं को लेकर प्रशासन से बातचीत की और उनके हक की आवाज़ बुलंद की।
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सुधीर ठाकुर अपने पीछे दो बेटियां छोड़ गए हैं, जिनकी उम्र अभी बहुत कम है। उनके लिए यह क्षति ऐसी है, जिसकी भरपाई कोई नहीं कर सकता। वे बार-बार दरवाजे की ओर देख रही हैं, शायद यह सोचकर कि पापा अभी आएंगे, लेकिन अब वह इंतज़ार कभी खत्म नहीं होगा।
उनके निधन की खबर से पूरा परिवहन विभागए ड्राइवर समुदाय और आम नागरिक गहरे शोक में डूब गए हैं। विभिन्न संगठनों ने श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए परिवार को हर संभव सहायता देने का आश्वासन दिया है। सोशल मीडिया पर भी लोग सुधीर ठाकुर की कर्मठता और सरल स्वभाव को याद करते हुए संवेदना प्रकट कर रहे हैं।