#हादसा
September 16, 2025
हिमाचल: भूस्खलन से 10 फीट धंस गई जमीन, 4 घर जमींदोज; खाली करवाया पूरा गांव
लोगों ने भाग कर बचाई जान, आखों के सामने जमींदोज हुए आशियाने
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कांगड़ा। हिमाचल प्रदेश में लगातार हो रही बारिश से हालात बिगड़ते जा रहे हैं। कहीं बादल फटने की घटनाएं हो रही हैं तो कहीं भूस्खलन से जमीन धंस रही है। इस वजह से कई लोग बेघर हो गए हैं। ताजा मामला कांगड़ा जिले से सामने आया है। जहां लोगों के आशियाने पल भर में जमींदोज हो गए हैं।
प्राप्त जानकारी के अनुसार मंगलवार सुबह जिला के थुरल तहसील के अंतर्गत आने वाले गगरेड गांव में ऐसा भूस्खलन हुआ कि पूरा गांव ही खतरे की जद में आया। अचानक जमीन करीब 10 फीट तक धंस गई और देखते ही देखते गांव का बड़ा हिस्सा मलबे में तब्दील हो गया। जमीन धंसने का सिलसिला अभी तक जारी है।
इस प्राकृतिक आपदा ने न केवल घरों को, बल्कि ग्रामीणों की रोजमर्रा की जिंदगी को भी पूरी तरह अस्त.व्यस्त कर दिया है। स्थानीय लोगों के अनुसार गांव में लगभग 12 मकान भूस्खलन की चपेट में आ चुके हैं। इनमें से चार मकान पूरी तरह से मलबे में समा गए हैं, जबकि बाकी घरों को भी इतना नुकसान हुआ है कि वे अब रहने लायक नहीं बचे। कई परिवारों का जीवनभर की कमाई से बनाया गया आशियाना पलभर में जमींदोज हो गया। इसके साथ ही ग्रामीणों के वाहन, घरेलू सामान सबकुछ बर्बाद हो गया।
गांव में हालात इतने भयावह थे कि लोग जान बचाकर घरों से बाहर निकले । पड़ोसी गांवों के लोग तुरंत मदद के लिए पहुंचे और प्रभावित परिवारों को सुरक्षित स्थानों तक ले जाया गया। गनीमत यह रही कि इस हादसे में किसी की जान नहीं गई] वरना तबाही का मंजर और भी भयावह हो सकता था।
मौके पर पहुंचे तहसीलदार थुरल, राजेश जरियाल ने पुष्टि की कि सभी ग्रामीणों और उनके पशुओं को सुरक्षित निकाल लिया गया है। उन्होंने यह भी साफ कहा कि गांव में अब भी लगातार भूस्खलन जारी है और जमीन धंसने का सिलसिला रुक नहीं रहा है। प्रशासन ने पूरे इलाके को खतरे वाला घोषित कर दिया है किसी को भी गांव की तरफ जाने के लिए अनुमति नहीं है।
इधर, SDM धीरा अपनी टीम के साथ घटनास्थल पर पहुंचे और उन्होंने प्रभावित परिवारों को सुरक्षित जगहों पर शिफ्ट करवाया। प्रशासन की ओर से उन्हें तुरंत राहत सामग्री भी उपलब्ध करवाई गई है ताकि आपदा की इस घड़ी में उनकी बुनियादी जरूरतें पूरी हो सकें।
गांव में हर तरफ मलबा और दरारें ही नजर आ रही हैं। लोग अपने उजड़े आशियानों को देखकर स्तब्ध हैं। ग्रामीणों का कहना है कि उन्होंने पहले कभी इतनी बड़ी तबाही नहीं देखी थी। अब उनका सबसे बड़ा सवाल यही है कि आने वाले दिनों में वे कहां रहेंगे और अपने परिवार को कैसे संभालेंगे।