#हादसा
July 12, 2025
हिमाचल में मानसून बना काल : 92 लोगों ने गंवाया जीवन, 34 को बहा ले गया मलबे का सैलाब
432 घर पूरी तरह तबाह, 223 सड़कें अभी भी बंद
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मंडी। हिमाचल प्रदेश में मानसून ने कई परिवारों को पूरी तरह बर्बाद कर दिया है। जबकि, कुछ परिवारों का तो नामोनिशान ही मिटा दिया है। इन घटनाओं ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि मानसून हिमाचल के लिए इस बार सिर्फ राहत नहीं, विनाश का रूप लेकर आया है।
मौसम विज्ञान विभाग ने प्रदेश के कई जिलों के लिए अगले कुछ दिनों तक भारी वर्षा की चेतावनी जारी की है। आज शिमला, सोलन और सिरमौर जिलों में कुछ स्थानों पर भारी बारिश की संभावना जताई गई है, जिसके लिए यलो अलर्ट जारी किया गया है। वहीं, 13 जुलाई को भारी बारिश को लेकर आरेंज अलर्ट घोषित किया गया है।
शुक्रवार को मौसम कुछ हद तक सामान्य होने से मंडी जिले में राहत और पुनर्निर्माण कार्यों में तेजी आई है। बंद सड़कों को खोलने का कार्य युद्ध स्तर पर जारी है। स्थानीय प्रशासन JCB, मशीनरी और राहत टीमों की मदद से मलबा हटाने, मार्ग बहाल करने और प्रभावित क्षेत्रों तक जरूरी सामग्री पहुंचाने में जुटा है।
पूरे प्रदेश में अभी भी 223 सड़कें भूस्खलन और मलबे के कारण बंद पड़ी हैं। इनमें से एक राष्ट्रीय राजमार्ग भी शामिल है। मंडी जिला सबसे अधिक प्रभावित है, जहां अकेले 166 सड़कें अभी भी बाधित हैं। इसके अलावा, 143 ट्रांसफार्मर बंद होने से कई गांवों में अंधेरा पसरा है और 204 पेयजल योजनाएं ठप हो चुकी हैं। कांगड़ा जिले में भी स्थिति गंभीर बनी हुई है। यहां 603 पेयजल योजनाएं प्रभावित हैं, जिससे हजारों लोगों को पीने के पानी की समस्या का सामना करना पड़ रहा है।
इस मानसून सीजन में अब तक 92 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 34 लोग अब भी लापता हैं। इसके अलावा 131 लोग गंभीर रूप से घायल हुए हैं। भूस्खलन, बाढ़ और मकानों के ढहने जैसी घटनाएं लोगों के जीवन को संकट में डाल चुकी हैं।
प्रदेशभर में 432 घर पूरी तरह तबाह हो गए हैं, जबकि 928 मकान आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हुए हैं। लोगों को अस्थाई शिविरों में शरण लेनी पड़ रही है और भविष्य को लेकर गहरी अनिश्चितता बनी हुई है।
प्राकृतिक आपदा ने प्रदेश को आर्थिक रूप से भी गहरी चोट दी है। अब तक सरकारी और निजी संपत्ति को हुआ कुल नुकसान 1157 करोड़ रुपये से अधिक आंकलित किया गया है। मंडी जिले में ही 1198 मकान क्षतिग्रस्त हुए हैं, जिनमें 500 मकान पूरी तरह तबाह हो गए हैं। इसके अलावा, 203 गोशालाएं और 731 पशु शेड भी तेज बहाव में ढह गए हैं।