#हादसा
September 22, 2025
हिमाचल: पहाड़ी पर हुए भूस्खलन के मलबे में दब गया बुजुर्ग, जब तक निकाला-थम गई थी सांसें
जंगल में बकरियां चराने गए बुजुर्ग की गई जान
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बिलासपुर। हिमाचल प्रदेश में भारी बारिश का दौर थमने के बावजूद प्राकृतिक आपदाएं थमने का नाम नहीं ले रही हैं। भूस्खलन की घटनाएं अभी भी रुक-रुक कर सामने आ रही हैं, जिससे जनजीवन प्रभावित हो रहा है। ताज़ा घटना बिलासपुर जिला के सदर उपमंडल के कोठीपुरा क्षेत्र में सामने आई है, जहां एक बुजुर्ग व्यक्ति की भूस्खलन की चपेट में आने से मौत हो गई।
मृतक की पहचान 65 वर्षीय पुरुषोत्तम पुत्र तोता राम, निवासी गांव कोट, डाकघर कल्लर, तहसील सदर, जिला बिलासपुर के रूप में हुई है। प्राप्त जानकारी के अनुसार, पुरुषोत्तम रविवार की शाम अपने गांव के समीप कोट जंगल में बकरियां चराने और सूखी लकड़ियां इकट्ठा करने गया था। इसी दौरान अचानक पहाड़ी का एक हिस्सा टूटकर नीचे आ गिरा और वह मलबे के नीचे दब गया।
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घटना के समय पास के ही क्षेत्र में लकड़ियां बीन रहे ग्रामीण रमेश चन्द ने जब बुजुर्ग की चीख-पुकार सुनी, तो वह तुरंत मौके पर पहुंचा और शोर मचाकर अन्य ग्रामीणों को भी बुलाया। ग्रामीणों ने तुरंत राहत कार्य शुरू करते हुए कड़ी मशक्कत के बाद पुरुषोत्तम को मलबे से बाहर निकाला। उस समय वह गंभीर रूप से घायल अवस्था में था और उसके शरीर पर अंदरूनी तथा बाहरी चोटों के निशान साफ देखे जा सकते थे।
गंभीर रूप से घायल पुरुषोत्तम को आनन-फानन में एम्स बिलासपुर ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उसे बचाने का हर संभव प्रयास किया, लेकिन चोटें अत्यधिक गहरी होने के कारण उन्होंने देर रात दम तोड़ दिया।
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घटना की सूचना मिलने पर सदर पुलिस थाना की टीम मौके पर पहुंची और मामले की छानबीन शुरू की। डीएसपी बिलासपुर मदन धीमान ने जानकारी देते हुए बताया कि शव का पोस्टमार्टम करवाकर परिजनों को सौंप दिया गया है। पुलिस द्वारा नियमानुसार कार्रवाई अमल में लाई जा रही है।
हिमाचल प्रदेश में मानसून भले ही शांत हो गया हो, लेकिन पहाड़ी क्षेत्रों में ज़मीन की नमी और ढीली मिट्टी के चलते भूस्खलन का खतरा अभी भी बना हुआ है। यह घटना राज्य में सक्रिय भू-संवेदनशीलता की एक और कड़ी बन गई है, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में दहशत का माहौल बना हुआ है।
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स्थानीय ग्रामीणों ने प्रशासन से मांग की है कि इस क्षेत्र को भूस्खलन संभावित क्षेत्र घोषित किया जाए और यहां पर चेतावनी संकेतक, सुरक्षा रेलिंग एवं अन्य उपाय किए जाएं, ताकि भविष्य में ऐसी दर्दनाक घटनाओं से बचा जा सके।