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May 17, 2025

हिमाचल: बकरियों को चारा देने गया था भेड़पालक, अंदर का नजारा देख उड़ गए होश

बकरियों को जंगल में चराकर वापस रोज की तरह बाड़े में बंद कर दिया था

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Mandi News

मंडी। मंडी. हिमाचल प्रदेश के मंडी ज़िले में एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है, जहां बल्ह उपमंडल की सकरोहा पंचायत में एक ही रात में 25 बकरियों की अचानक मौत हो गई। बकरियों की इस सामूहिक मौत से क्षेत्र में सनसनी फैल गई है और पशुपालक हेतराम पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है।

25 बकरियों की मौत

बताया गया है कि हेतराम शुक्रवार शाम के समय अपनी बकरियों को जंगल में चराकर वापस घर लाए और रोज की तरह उन्हें बाड़े में बंद कर दिया। सब कुछ सामान्य लग रहा था, लेकिन अगली सुबह जब वे बकरियों को चारा देने के लिए बाड़े में पहुंचे तो उनके पैरों तले जमीन खिसक गई। 25 बकरियां मृत पड़ी थीं और कुछ अन्य गंभीर हालत में तड़प रही थीं।

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तड़प रही थी कई बकरियां

घबराए हेतराम ने तुरंत स्थानीय वेटरनरी विभाग को फोन कर स्थिति की जानकारी दी। सूचना मिलते ही गागल स्थित पशु चिकित्सक डॉ. विजेंद्र की अगुवाई में टीम मौके पर पहुंची और तड़पती हुई बकरियों को तत्काल प्राथमिक उपचार देते हुए इंजेक्शन लगाए। पशु चिकित्सकों की त्वरित कार्रवाई से बाकी की बकरियों की जान बच गई।

बकरियों ने खा ली जहरीली घास

डॉक्टरों द्वारा मृत बकरियों का पोस्टमार्टम किए जाने पर सामने आया कि सभी की मौत जहरीली घास खाने से हुई है। माना जा रहा है कि जंगल में चराई के दौरान बकरियों ने किसी विषैली वनस्पति को खा लिया था, जिसकी पहचान समय पर नहीं हो पाई।

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लाखों रुपए का हुआ नुकसान

इस हादसे से हेतराम को करीब चार लाख रुपये से अधिक का नुकसान हुआ है। बकरियों की मौत से उसका पशुपालन व्यवसाय बुरी तरह प्रभावित हुआ है, जो कि उसके परिवार की रोजी-रोटी का प्रमुख साधन था।

 

इधर, पंचायत प्रधान देवकी नंदन ने मौके पर पहुंचकर घटना की जानकारी ली और हेतराम को ढांढस बंधाया। उन्होंने आश्वासन दिया कि जिला प्रशासन और संबंधित विभागों से बात कर जल्द ही हेतराम को उचित मुआवजा दिलवाया जाएगा।

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खतरे में पशुओं की जान

ग्रामीणों ने भी प्रशासन से अपील की है कि इस प्रकार की घटनाओं को दोबारा रोकने के लिए वन विभाग और पशुपालन विभाग संयुक्त रूप से कदम उठाएं, ताकि पशुपालकों को नुकसान से बचाया जा सके।

 

यह घटना न केवल एक पशुपालक की निजी क्षति है, बल्कि इससे यह भी जाहिर होता है कि ग्रामीण क्षेत्रों में पशुओं की चराई के लिए सुरक्षित और वैज्ञानिक ढंग से मार्गदर्शन देने की कितनी जरूरत है।

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