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July 19, 2025
सुक्खू सरकार ने शुरू की 'जॉब ट्रेनी' की नई व्यवस्था, सुधीर शर्मा बोले- बेरोजगारों से किया भद्दा मजाक
सुक्खू सरकार ने युवाओं को दिया बड़ा झटका दो साल बाद देनी होगी परीक्षा
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शिमला। हिमाचल प्रदेश की सुक्खू सरकार ने अब नियमित या अनुबंध आधार पर भर्ती को पूरी तरह से बंद कर दिया है। सुक्खू सरकार ने विभिन्न सरकारी विभागों, बोर्डों और निगमों में ग्रुप-ए, बी और सी के पदों पर सीधी भर्ती की प्रक्रिया में बड़ा बदलाव करते हुए नई नीति को लागू कर दिया है। इस नई व्यवस्था के तहत अब चयनित उम्मीदवारों को दो वर्षों तक जॉब ट्रेनी के तौर पर सेवा देनी होगी। इस दौरान उन्हें नियमित सरकारी कर्मचारी नहीं माना जाएगा और उन्हें पेंशन, अवकाश नियमों व अन्य पारंपरिक सरकारी सुविधाओं का लाभ नहीं मिलेगा।
शनिवार को कार्मिक विभाग द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार इस नीति का मुख्य उद्देश्य सरकारी भर्ती प्रक्रिया में पारदर्शिता, उत्तरदायित्व और दक्षता लाना है। सरकार का मानना है कि इससे प्रशासनिक व्यवस्था और अधिक मजबूत और परिणामोन्मुख बनेगी।
वहीं दूसरी तरफ सुक्खू सरकार की इस नई व्यवस्था पर विपक्ष ने सवाल उठाना शुरू कर दिया है। पूर्व मंत्री एवं धर्मशाला विधानसभा क्षेत्र के वर्तमान भाजपा विधायक सुधीर शर्मा ने जॉब ट्रेनी नीति पर सवाल उठाते हुए कहा की प्रदेश सरकार ने ऐसा करके प्रदेश के युवाओं के साथ भद्दा मज़ाक किया है। उन्होंने ने कहा की पिछले प्रदेश के बेरोजगार युवा पिछले अढाई वर्षों से दिन रात मेहनत कर रहे थे, कि सरकार नई नौकरियां निकालेगी और वह उनके लिए आवेदन करेंगे। लेकिन सुक्खू सरकार ने सरकारी नौकरी तो दूर की बात नई पॉलिसी लाकर बेरोजगारों के सपनों पर पानी फेर दिया।
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सुधीर शर्मा ने इस नीति पर सवाल उठाते हुए कहा की पहले तो युवा दिन रात मेहनत करके अपना चयन करवाएंगे। उसके बाद भी इसमें पक्की नौकरी की सरकार ने कोई गारंटी नहीं दी है। दो वर्ष की ट्रेनिंग करने के उपरांत चयनित अभियार्थिओं को फिर से परीक्षा देनी पड़ेगी, जो अपने आप में एक हास्यास्पद विषय है।
चयनित अभ्यर्थियों को सेवा में शामिल होने से पहले उनके पद के अनुरूप विशेष प्रशिक्षण दिया जाएगा। दो साल की ट्रेनी अवधि पूरी करने के बाद ही उन्हें दक्षता परीक्षा में सफल होकर नियमित सरकारी सेवा में प्रवेश मिलेगा।इसके लिए दो साल बाद उनकी फिर से परीक्षा ली जाएगी।
हालांकि जॉब ट्रेनी को कुछ जरूरी सुविधाएं मिलेंगी। उन्हें हिमकेयर और आयुष्मान भारत जैसी स्वास्थ्य योजनाओं का लाभ मिलेगा। यात्रा भत्ता (टीए-डीए) उन्हें न्यूनतम वेतनमान वाले कर्मचारियों के बराबर मिलेगा, लेकिन पेंशन, सीसीएस (सिविल सेवा) नियम, नियमित अवकाश और अन्य सरकारी भत्तों से वे दो वर्षों तक वंचित रहेंगे।
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कुछ महत्वपूर्ण पदों को इस नई भर्ती नीति से बाहर रखा गया है। इनमें हिमाचल प्रशासनिक सेवा के अधिकारी, सिविल जज, मेडिकल कॉलेजों के प्रोफेसर, नायब तहसीलदार, एसीएफ, एचपीएफ एंड एएस के सेक्शन अधिकारी, सहायक राज्य कर एवं आबकारी अधिकारी और पुलिस कांस्टेबल शामिल हैं। इन पदों पर पुरानी प्रक्रिया के अनुसार ही नियुक्तियां की जाएंगी।
सरकार ने स्पष्ट किया है कि सभी नई भर्तियां राज्य लोक सेवा आयोग, कर्मचारी चयन आयोग या सरकार द्वारा अधिकृत किसी अन्य एजेंसी के माध्यम से ही होंगी। इसके साथ ही आरक्षण नीति का पालन अनिवार्य रहेगा। इसके अतिरिक्त, सभी विभागों को ट्रेनी की नियुक्ति से पहले वित्त विभाग से पूर्वानुमति लेना जरूरी होगा।
जॉब ट्रेनी को भी सीमित अवकाश का प्रावधान रहेगा। उन्हें हर 30 दिन की सेवा के बाद एक दिन की कैजुअल लीव (CL) दी जाएगी। इसके अलावा साल में 10 दिन की मेडिकल लीव (ML) और पांच दिन की स्पेशल लीव (SL) भी मिलेगी। महिला ट्रेनी को दो जीवित बच्चों तक 180 दिन की मातृत्व अवकाश और गर्भपात की स्थिति में 45 दिन की विशेष अवकाश की सुविधा प्रदान की जाएगी।