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December 21, 2025
CM सुक्खू मेहरबान- छोटे दुकानदारों का कर्ज खुद चुकाएगी सरकार, यहां करना होगा अप्लाई
‘वन-टाइम सेटलमेंट’ के सहारे लोन चुकाएगी सरकार
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शिमला। गांव और शहरो की गलियों में छोटी दुकानदारी करने वाला शख्स अक्सर दो वक्त की कमाई और बैंक के नोटिस के बीच ही फंसा रह जाता है। कोरोना के बाद ठप पड़े कारोबार,बैंक की अटकी किश्तें दुकानदार को परेशान करती रहती है। अब इसी बेबसी को देखते हुए हिमाचल की सुक्खू सरकार ने शहरी छोटे कारोबारियों के लिए एक राहत का कदम उठाया है। जिससे अब कई दुकानदारों का कर्ज का बोझ हल्का हो जाएगा।
प्रदेश सरकार ने शहरी क्षेत्रों के छोटे दुकानदारों को कर्ज के जाल से बाहर निकालने के लिए मुख्यमंत्री लघु दुकानदार कल्याण योजना लागू कर दी है। इस योजना के तहत NPA घोषित बैंक खातों वाले पात्र दुकानदारों को सरकार की ओर से आर्थिक मदद दी जाएगी। दस लाख रुपये तक के व्यापारिक ऋण पर सरकार अधिकतम एक लाख रुपये तक की राशि बैंकों को चुकाएगी।
इस योजना की घोषणा बजट में CM सुखविंदर सिंह सुक्खू ने की थी। अब शहरी विकास विभाग की ओर से इसकी अधिसूचना जारी कर दी गई है। सरकार का कहना है कि शहरी इलाकों में हजारों छोटे व्यापारी ऐसे हैं, जो सीमित आमदनी के कारण न तो कर्ज चुका पा रहे हैं और न ही कारोबार आगे बढ़ा पा रहे हैं।
योजना का लाभ वही दुकानदार उठा सकेंगे जिनका वार्षिक टर्नओवर 10 लाख रुपये से कम है और जिन्होंने अप्रैल 2020 से 31 मार्च 2025 के बीच व्यापारिक ऋण लिया हो, लेकिन भुगतान न कर पाने के कारण जिनका खाता एनपीए घोषित हो गया हो। योजना में जानबूझकर डिफॉल्ट, धोखाधड़ी और कदाचार के मामलों को बाहर रखा गया है।
पात्र दुकानदारों को बैंकों के माध्यम से वन-टाइम सेटलमेंट (OTS) के तहत अधिकतम एक लाख रुपये तक की सहायता दी जाएगी। यदि किसी लाभार्थी पर बकाया राशि एक लाख रुपये से ज्यादा है, तो अतिरिक्त रकम उसे स्वयं जमा करनी होगी। योजना के तहत अधिकतम ऋण सीमा 10 लाख रुपये तय की गई है।
सरकार पहले ही वर्ष 2023 से ग्रामीण क्षेत्रों में यह योजना लागू कर चुकी है। अब इसे शहरी क्षेत्रों तक बढ़ाया गया है, ताकि शहरों में छोटे कारोबार करने वालों को भी राहत मिल सके।
दुकानदार शहरी स्थानीय निकायों के माध्यम से आवेदन कर सकेंगे। सत्यापन के बाद मामला संबंधित बैंक को भेजा जाएगा। योजना की निगरानी के लिए राज्य, जिला और शहरी निकाय स्तर पर समितियां बनाई जाएंगी और इसके लिए एक एकीकृत आईटी पोर्टल भी विकसित किया जाएगा।
इस योजना का लाभ मोची, दर्जी, मोबाइल रिपेयरिंग, गैरेज, चाय-ढाबा, किराना, नाई, कटलरी स्टोर, सड़क किनारे फल-सब्जी बेचने वाले और अन्य छोटे दुकानदारों को मिलेगा, जो तय मानदंडों पर खरे उतरते हों।
योजना का लाभ लेने के लिए हिमाचल का निवास प्रमाणपत्र, आधार कार्ड, बैंक और लोन खाते का विवरण, आधार से जुड़ा मोबाइल नंबर, पासपोर्ट साइज फोटो और व्यवसाय से जुड़े दस्तावेज अनिवार्य होंगे। साथ ही 10 लाख रुपये से कम टर्नओवर का प्रमाण भी देना होगा। सरकार का दावा है कि इस कदम से छोटे दुकानदारों को न केवल कानूनी झंझट से राहत मिलेगी, बल्कि वे दोबारा सम्मान के साथ अपना कारोबार आगे बढ़ा सकेंगे।