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December 21, 2025

हिमाचल : मां ने बेची सब्जियां, पिता ने चाय का खोखा चला पढ़ाया बेटा- अब फौज में देगा सेवाएं

बिना किसी कोचिंग के घर पर खुद की परीक्षा की तैयारी

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Agniveer Vivek Sharma Paonta Sahib

सिरमौर। कहते हैं कि दीये जलते रहे अंधेरों में भी, क्योंकि हौसलों ने हार मानना सीखा ही नहीं। ये शब्द बखूबी चरितार्थ करते हैं हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले के एक बेटे विवेक शर्मा को।

अग्निवीर बने विवेक शर्मा

पांवटा उपमंडल के राजबन गांव के विवेक का भारतीय सेना में अग्निवीर के रूप में चयन हुआ है। यह उपलब्धि न सिर्फ एक युवा की मेहनत का परिणाम है, बल्कि उस परिवार की तपस्या का भी फल है, जिसने सीमित संसाधनों के बावजूद सपनों को मरने नहीं दिया।

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साधारण परिवार, असाधारण सपना

विवेक एक बेहद सामान्य और आर्थिक रूप से कमजोर परिवार से संबंध रखते हैं। उनकी माता राधा देवी रोज सुबह तड़के उठकर एक छोटी-सी सब्जी की दुकान लगाती हैं, जबकि पिता बाबू राम चाय का खोखा चलाकर परिवार का खर्च उठाते हैं

मां ने बेची सब्जियां, पिता ने चाय

जीवन की गाड़ी बड़ी मुश्किल से आगे बढ़ती थी, लेकिन इन हालातों में भी माता-पिता ने कभी बेटे के सपनों को बोझ नहीं बनने दिया। जब गांव की गलियां अभी नींद में होती थीं, उसी वक्त राधा देवी सब्जियों की टोकरियां सजाने निकल पड़तीं और बाबू राम चाय की केतली चढ़ाकर दिन की शुरुआत करते।

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सपनों के साथ समझौता नहीं

चेहरे पर थकान साफ झलकती थी, मगर आंखों में सिर्फ एक सपना पलता था- बेटा विवेक, भारतीय सेना की वर्दी में। विवेक ने अपनी पढ़ाई के साथ-साथ पांवटा साहिब की एक निजी कंपनी में नौकरी भी की, ताकि परिवार पर आर्थिक बोझ न पड़े।

 

दिनभर की मेहनत के बाद भी उनका इरादा कमजोर नहीं पड़ा। रात को पढ़ाई, सुबह कठोर शारीरिक अभ्यास और अनुशासित दिनचर्या उनकी आदत बन चुकी थी।

थकान, संसाधनों की कमी और कई बार निराशा भी आई, लेकिन विवेक ने कभी अपने लक्ष्य से नजर नहीं हटाई।

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पहले प्रयास में मिली असफलता

पहले प्रयास में असफलता हाथ लगी, लेकिन विवेक ने हार मानने के बजाय खुद को और मजबूत किया। दूसरे प्रयास में उनकी मेहनत रंग लाई और वे अग्निवीर के रूप में चयनित हो गए।

नहीं ली कोई कोचिंग

विवेक ने बताया कि उन्होंनेअग्निवीर परीक्षा के लिए किसी से कोई कोचिंग नहीं ली। उन्होंने बताया कि घर की माली हालत ठीक ना होने के कारण वो कहीं कोचिंग नहीं ले सके। ऐसे में उन्होंने Youtube और कुछ किताबों की मदद ली और रीक्षा की तैयारी खुद ही की। नतीजा ये रहा कि उनकी मेहनत रंग लाई और उनका देश सेवा करने का सपना पूरा हुआ।

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भावुक हुए माता-पिता

विवेक की इस सफलता के बाद ना सिर्फ उनके परिवार बल्कि पूरे गांव में खुशी की लहर है। जैसे ही विवेक की सफलता की खबर उनके माता-पिता को मिली- उनकी आंखों से खुशी के आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे थे।

बचपन का सपना किया सच

माता-पिता का कहना है कि विवेक का बचपन से ही वर्दी पहनकर देश सेवा करने का सपना था। अब उसने अपनी मेहनत के दम पर अपने सपने को सच कर दिखाया है। उन्हें उनके बेटे पर गर्व है। बेटे ने हमारा सिर गर्व से ऊंचा कर दिया है।

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माता-पिता की मेहनत का फल

विवेक ने अपनी इस सफलता का श्रेय अपने माता-पिता को दिया है। उनका कहना है कि पैसों की तंगी के बावजूद उनके माता-पिता ने उनके कभी किसी चीज की कमी नहीं आने दी। उन्होंने रात-दिन मेहनत की ताकि मैं अपना लक्ष्या हासिल कर सकूं।

युवाओं के लिए प्रेरणा बने विवेक

ये सफलता हासिल कर विवेक युवाओं के लिए प्रेरणा बन गए हैं। विवेक ने साबित कर दिखाया है कि अगर मन में कुछ पाने की चाह हो तो कड़ी मेहनत कर सीमित संसधानों के साथ भी उसे हासिल किया जा सकता है। विवेक का कहना है कि लक्ष्य पूरा करने के लिए पैसों की नहीं बल्कि जज्बे की जरूरत होती है।

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