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July 9, 2025

सुक्खू सरकार का बड़ा फैसला : 23 साल बाद पांच गुना बढ़ीं मेडिकल कॉलेजों में पैरामेडिकल सीटें

IGMC शिमला में सीटें 10 से बढ़ाकर 50 कर दी गई हैं

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Paramedical Seats

शिमला। हिमाचल प्रदेश सरकार ने चिकित्सा शिक्षा के क्षेत्र में एक ऐतिहासिक कदम उठाया है। पूरे 23 वर्षों के बाद राज्य में पहली बार पैरामेडिकल कोर्सेज की सीटें बढ़ाने का निर्णय लिया गया है। यह फैसला प्रदेश के स्वास्थ्य संस्थानों में तकनीकी कर्मचारियों की बढ़ती कमी को देखते हुए लिया गया है।

सुक्खू सरकार का बड़ा फैसला

उल्लखेनीय है कि, राज्य सरकार के इस फैसले से जहां चिकित्सा क्षेत्र को प्रशिक्षित तकनीकी मानव संसाधन मिलेगा, वहीं युवाओं को भी अपने ही राज्य में गुणवत्तापूर्ण प्रशिक्षण के बेहतर अवसर प्राप्त होंगे।

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IGMC और TMC में सीटों में बड़ा इजाफा

इस निर्णय के तहत शिमला स्थित इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज (IGMC) और कांगड़ा जिले के डॉ. राजेंद्र प्रसाद मेडिकल कॉलेज टांडा (TMC) में पैरामेडिकल कोर्स की सीटें कई गुना बढ़ा दी गई हैं।

पैरामेडिकल की सीटें बढ़ी

BSC मेडिकल लैब टेक्नोलॉजी

BSC रेडियोलॉजी एंड इमेजिंग

BSC एनेस्थीसिया एंड ओटी टेक्नोलॉजी

 

IGMC शिमला में इन सभी पाठ्यक्रमों में सीटें 10 से बढ़ाकर 50 कर दी गई हैं। जबकि, TMC टांडा में इन कोर्सेज की सीटें 18 से बढ़ाकर 50 की गई हैं।

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प्रशिक्षित टेक्निकल स्टाफ की जरूरत बढ़ी

स्वास्थ्य विभाग के अनुसार, प्रदेश में समय के साथ आधुनिक चिकित्सा उपकरणों और मशीनों की संख्या तो बढ़ी है, लेकिन इनको संचालित करने वाले प्रशिक्षित तकनीकी कर्मचारियों की भारी कमी देखी जा रही थी। यही कारण है कि उच्च गुणवत्ता वाली स्वास्थ्य सेवाएं सुचारु रूप से नहीं मिल पा रही थीं। सरकार का यह फैसला प्रदेश की स्वास्थ्य प्रणाली को न केवल मजबूती देगा, बल्कि आधुनिक तकनीकों का लाभ आम लोगों तक पहुंचाने में भी मदद करेगा।

बाहर जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी

प्रदेश सरकार ने माना है कि अब तक पैरामेडिकल सीटें सीमित होने के कारण हिमाचल के छात्र-छात्राओं को दूसरे राज्यों में प्रशिक्षण के लिए जाना पड़ता था। लेकिन अब IGMC और TMC में सीटें बढ़ने से स्थानीय स्तर पर ही युवाओं को बेहतर प्रशिक्षण मिल सकेगा। इससे उन्हें आर्थिक और मानसिक दोनों तरह का बोझ उठाने से राहत मिलेगी।

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अभी आगे और बढ़ेंगे अवसर

स्वास्थ्य सचिव एमसुधा देवी के अनुसार, सरकार सिर्फ मेडिकल कोर्स की सीटें ही नहीं बढ़ा रही, बल्कि राज्य में नर्सिंग और पैरामेडिकल कोर्सों के प्रशिक्षण अवसरों का भी विस्तार किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री खुद राज्य की स्वास्थ्य सेवाओं को एम्स दिल्ली जैसी विश्वस्तरीय सेवाओं के समकक्ष बनाने की दिशा में लगातार कार्य कर रहे हैं।

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