#यूटिलिटी
July 3, 2025
हिमाचल : इस दिन से कर सकेंगे पवित्र किन्नर कैलाश के दर्शन, इन्हें नहीं मिलेगी यात्रा की अनुमति
30 अगस्त तक चलेगी यात्रा, मेडिकल जांच के बाद ही मिलेगी अनुमति
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रिकांगपिओ। हिमाचल प्रदेश के किन्नौर जिले की प्रतिष्ठित और अत्यंत कठिन मानी जाने वाली किन्नर कैलाश यात्रा का इस वर्ष की समयसारिणी आ चुकी है। हर वर्ष की भांति इस बार भी प्रशासन ने श्रद्धालुओं की सुविधा और सुरक्षा के लिए व्यापक तैयारियां की हैं। तंगलिंग गांव में मुख्य बेस कैंप स्थापित किया जाएगा, जहां से यात्रा का संचालन होगा, जबकि दूसरा कैंप मेलिंगखटा में होगा।
जानकारी के अनुसार, इस बार की यात्रा 15 जुलाई से शुरू होकर 30 अगस्त 2025 तक चलेगी। इसे लेकर अधिकारिक सूचना जारी कर दी गई है। बता दें कि प्रति वर्ष जुलाई के माह में ही इस यात्रा को शुरू करवाया जाता है। अत्यंत कठिन माने जाने वाली इस यात्रा को पूरा करने और भोलेनाथ के दर्शन के लिए देश-विदेश से हजारों श्रद्धालु किन्नौर पहुंचते हैं।
यात्रा में शामिल होने वाले श्रद्धालुओं को तंगलिंग बेस कैंप पर मेडिकल फिटनेस जांच के बाद ही यात्रा की अनुमति दी जाएगी। सुबह 6 बजे से दोपहर 1 बजे तक ही यात्रा शुरू करने की अनुमति होगी। इसके बाद सुरक्षा कारणों से आगे बढ़ने पर प्रतिबंध रहेगा।
मेलिंगखटा से आगे किन्नर कैलाश की ओर यात्रा करने वालों को रात 1 बजे से सुबह 6 बजे तक ही अनुमति दी जाएगी और इस दौरान किसी को बीच रास्ते में रुकने की इजाजत नहीं होगी।
यात्रा मार्ग में क्यूआरटी (त्वरित प्रतिक्रिया दल) की टीम मेलिंगखटा और गुफा के पास तैनात रहेगी। साथ ही श्रद्धालुओं की देखभाल के लिए स्वास्थ्य विभाग की टीमें भी तंगलिंग, मेलिंगखटा और गुफा के पास मौजूद रहेंगी।
श्रद्धालुओं के ठहरने के लिए मेलिंगखटा में 70% टैंट स्थानीय लोगों द्वारा लगाए जाएंगे जबकि 30% टैंट नीलामी के आधार पर अन्य आवेदकों को दिए जाएंगे। प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि मेलिंगखटा के अतिरिक्त यात्रा मार्ग पर कहीं भी रुकने की अनुमति नहीं दी जाएगी।
किन्नर कैलाश यात्रा को हिंदू धर्म में विशेष स्थान प्राप्त है। इसे भगवान शिव का निवास स्थल माना जाता है। समुद्रतल से करीब 16,000 फीट की ऊंचाई पर स्थित शिवलिंग के दर्शन के लिए हर वर्ष देशभर से श्रद्धालु पहुंचते हैं। यह यात्रा कठिन ट्रेकिंग मार्गों, ऊंचाई और मौसम की अनिश्चितताओं के कारण बेहद चुनौतीपूर्ण मानी जाती है।
प्रशासन ने श्रद्धालुओं से अनुरोध किया है कि वे अनावश्यक जोखिम न लें, समय सीमाओं का पालन करें और निर्धारित ठहराव स्थलों पर ही रुकें। केवल स्वस्थ और शारीरिक रूप से सक्षम लोग ही इस कठिन यात्रा में शामिल हों, ताकि आस्था की यह यात्रा सुरक्षित और सफलतापूर्वक पूरी की जा सके।
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