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February 23, 2025

हिमाचल की ये रेल लाइन इंडियन आर्मी को देगी मजबूती, वॉर में सैनिकों की करेगी बड़ी मदद

विश्व धरोहर बनाने और रेल लाइन को मंडी से जोड़ने का प्लान

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Kangra News

कांगड़ा। अंग्रेजों की बनाई पठानकोट-जोगिंदर नगर रेल लाइन के दिन फिरने वाले हैं। 1929 में शुरू हुई करीब 165 किलोमीटर लंबी इस रेल लाइन को ब्रॉडगेज करने का प्रस्ताव रखा गया है। इसके साथ ही इस रेल लाइन को आगे मंडी से जोड़ने के लिए सर्वे कराने की भी मांग की गई है, ताकि भविष्य में इसी रेल लाइन को कुल्लू-मनाली और रोहतांग होते हुए लेह तक बढ़ाया जा सके। अभी ऊना जिले के अम्ब-अदौरा तक ही ब्रॉडगेज लाइन आती है।

लाव-लश्कर भेजना होगा आसान

अगर ऐसा संभव हो जाता है तो भारतीय सेना के लिए चीन बॉर्डर तक अपना लाव-लश्कर भेजना और भी आसान हो जाएगा। हिमाचल के कांगड़ा-चम्बा सीट से सांसद डॉ. राजीव भारद्वाज ने केंद्रीय रेल मंत्री से चर्चा के दौरान कांगड़ा की इस ऐतिहासिक धरोहर रेलवे लाइन को ब्रॉड गेज करने का प्रस्ताव रखा है, जिस पर रेल मंत्री ने सकारात्मक रुख दिखाया है। डॉ. राजीव भारद्वाज ने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से मुलाकात में वीर भूमि कांगड़ा में सैनिक स्कूल की स्थापना की भी मांग की है।

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विश्व धरोहर का दर्जा दिलाने का प्लान

कांगड़ा-चम्बा लोकसभा क्षेत्र में अमृत भारत स्टेशन योजना के तहत दो स्टेशनों को मंजूरी मिल चुकी है। अब नूरपुर रोड रेलवे स्टेशन को भी इस योजना में शामिल करने का प्रस्ताव रखा गया है। रेल लाइन के विस्तार का अंतिम भौतिक सर्वेक्षण पूरा हो चुका है। इस ऐतिहासिक रेल लाइन पर रोजाना 6 ट्रेनें चलती हैं। रेलवे इसे कालका-शिमला और दार्जिलिंग रेल मार्ग की तरह विश्व धरोहर का दर्जा दिलाने की योजना बना रहा है।

 

मोहटली में निर्माणाधीन अंडर ब्रिज का काम तेजी से चल रहा है, जिससे स्थानीय लोगों को जल्द लाभ मिलेगा। जोगिंदर नगर से मंडी के बीच 48 किलोमीटर में नई ब्रॉडगेज लाइन बिछाई जाएगी और मंडी से कुल्लू-मनाली, रोहतांग होते हुए ट्रेन को लेह तक पहुंचाने की योजना है। राज्यसभा सांसद इंदु गोस्वामी ने भी पठानकोट-लेह रेलवे ट्रैक को ब्रॉडगेज करने के सर्वेक्षण की शीघ्रता से मांग की है।

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कुल्लू-मनाली से लेह तक ट्रेन पहुंचाने की योजना

देश की सुरक्षा के दृष्टिगत पठानकोट-लेह मार्ग को अत्यंत महत्वपूर्ण माना जा रहा है। वर्तमान में जम्मू-कश्मीर के रास्ते ही लेह तक सीधा पहुंचा जा सकता है। जबकि रोहतांग का रास्ता तीन महीने के लिए गर्मियों में खुलता है। ऐसे में पठानकोट-लेह रेलमार्ग को महत्वपूर्ण समझा जा रहा है, ताकि युद्ध की स्थिति में सेना तक असलहा पहुंचाने के लिए रेल लाइन का इस्तेमाल किया जा सके।

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