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May 30, 2025
सुक्खू सरकार फिर ले रही 800 करोड़ का लोन, साल दर साल बढ़ रहा हिमाचल पर कर्ज का बोझ
3 जून 2025 को खाते में आएगी कर्ज की राशि
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शिमला। हिमाचल प्रदेश इन दिनों गंभीर आर्थिक संकट के दौर से गुजर रहा है। प्रदेश सरकार को कर्मचारियों के वेतन और पेंशन के भुगतान के लिए भी जूझना पड़ रहा है। कोषागार की स्थिति को संतुलित करने और विकास कार्यों को पटरी पर लाने के लिए एक बार फिर सुक्खू सरकार कर्ज का सहारा लेने जा रही है। हिमाचल की कांग्रेस सरकार ने 800 करोड़ रुपए का ऋण लेने का फैसला लिया है। इस संबंध में वित्त विभाग ने शुक्रवार को अधिसूचना जारी कर दी है।
सूत्रों के अनुसार, यह राशि तीन जून को राज्य सरकार के खाते में आएगी, जबकि यह ऋण आगामी 20 वर्षों के लिए लिया जा रहा है। सरकार को इसे चार जून 2045 तक चुकाना होगा। बताया जा रहा है कि केंद्र सरकार की ओर से मिलने वाले राजस्व अनुदान में कमी आने के चलते प्रदेश की आर्थिक स्थिति और अधिक खराब हुई है। इससे प्रदेश सरकार पर वित्तीय बोझ लगातार बढ़ता जा रहा है।
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राज्य सरकार का तर्क है कि इस ऋण का उपयोग आवश्यक विकास योजनाओं को गति देने में किया जाएगा, लेकिन जानकारों का कहना है कि प्रदेश की आमदनी के मुकाबले खर्च काफी ज्यादा है और सबसे बड़ी चुनौती नियमित वेतन और पेंशन का भुगतान बन चुका है। ऐसे में बार.बार कर्ज लेकर खर्च पूरे करना दीर्घकालिक समाधान नहीं है, बल्कि इससे प्रदेश की अर्थव्यवस्था पर और बोझ बढ़ेगा।
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विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि यदि वित्तीय अनुशासन नहीं अपनाया गया और आय के स्थायी स्रोत विकसित नहीं किए गए, तो आने वाले समय में प्रदेश को और गंभीर आर्थिक संकट का सामना करना पड़ सकता है। आमदनी अठन्नी और खर्चा रुपया, होने की वजह से प्रदेश पर कर्ज का बोझ बढ़ता जा रहा है। बता दें कि छोटे से राज्य हिमाचल पर इस समय एक लाख करोड़ से भी अधिक का कर्ज हो गया है। कर्ज का यह पहाड़ अभी भी लगातार बढ़ रहा है। जिस पर रोक ना तो भाजपा और ना ही कांग्रेस सरकार लगा पा रही है।