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May 30, 2025
विमल नेगी मामले में हुई फजीहत के बाद सुक्खू सरकार सख्त, बड़े प्रशासनिक फेरबदल की आहट
कार्मिक विभाग तैयार कर रहा सूची, होगा बड़ा प्रशासनिक फेरबदल
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शिमला। हिमाचल प्रदेश में विमल नेगी मामले की जांच में अधिकारियों की अपनी अपनी डफली और अपना अपना राग से सुक्खू सरकार की काफी फजीहत हुई है। जिसके बाद से सुक्खू सरकार सख्त हो गई है। विमल नेगी मौत मामला सीबीआई को सौंपे जाने के बाद सीएम सुक्खू ने तीन बड़े अधिकारियों पर कार्रवाई करते हुए उन्हें लंबी छुट्टी पर भेज दिया है। अब सुक्खू सरकार एक बार फिर बड़े प्रशासनिक बदलाव की दिशा में सख्त कदम उठाने जा रही है।
बता दें कि विमल नेगी मामले में अनुशासनहीनता की घटना ने सरकार को अंदरूनी समीक्षा के लिए मजबूर किया है। इसे भी प्रशासनिक फेरबदल से जोड़कर देखा जा रहा है। उच्च स्तर पर जिम्मेदारियों का पुनर्वितरण इस बात का संकेत है कि सरकार अब कार्य संस्कृति में बदलाव चाहती है। विमल नेगी मामले में विपक्ष ने भी सुक्खू सरकार पर हमला किया था और कहा था कि सुक्खू सरकार का अपनी अफसरशाही पर कंट्रोल नहीं है।
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मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू प्रशासनिक मशीनरी में नई ऊर्जा भरने के लिए कड़े फैसले लेने जा रहे हैं। हाल ही में मुख्यमंत्री कार्यालय सहित कई प्रमुख विभागों में कार्यरत वरिष्ठ आईएएस, आईपीएस, एचएएस और एचपीएस अधिकारियों के तबादले की प्रक्रिया प्रारंभ कर दी गई है। मुख्यमंत्री सुक्खू ने परफॉर्मेंस को आधार बनाते हुए सख्त रुख अपनाया है।
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बताया जा रहा है कि कार्य में लापरवाही और अनावश्यक विलंब को लेकर अब अधिकारियों की जवाबदेही तय की जाएगी। हाल ही में सरकार ने तीन वरिष्ठ अधिकारियों को लंबी छुट्टी पर भेज दिया है, जिसे एक कड़ा संदेश माना जा रहा है कि अब कामकाज में ढिलाई और लापरवाही बिलकुल बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
कार्मिक विभाग द्वारा एक विस्तृत सूची तैयार की जा रही है जिसमें विभागाध्यक्षों, प्रशासनिक सचिवों, निदेशकों और कुछ जिलों के उपायुक्तों के नाम शामिल हैं। खासकर वे अधिकारी जो एक ही पद पर लंबे समय से जमे हुए हैं, उन्हें बदला जा सकता है।
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वर्तमान में हिमाचल प्रदेश आर्थिक चुनौतियों से जूझ रहा है। मुख्यमंत्री सुक्खू प्रदेश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए ठोस कदम उठा रहे हैं। योजनाओं का प्रभावी क्रियान्वयन सुनिश्चित करने के लिए अफसरशाही में दक्षए ईमानदार और कर्मठ अधिकारियों को जिम्मेदारी दी जा रही है।
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कुछ अधिकारियों के पास एक से अधिक विभागों का अतिरिक्त कार्यभार है, जिससे कामकाज प्रभावित हो रहा है। अब ऐसे अधिकारियों से अतिरिक्त जिम्मेदारियां वापस ली जाएंगी और उन्हें ऐसे अधिकारियों को सौंपा जाएगा जो तेज गति से निर्णय लेने में सक्षम हैं। मुख्यमंत्री का यह कदम प्रदेश में प्रशासनिक कार्यप्रणाली को सुदृढ़ करने और नीतियों के सुचारू क्रियान्वयन की दिशा में अहम माना जा रहा है। फेरबदल की यह प्रक्रिया आने वाले दिनों में और तेज हो सकती है।