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August 24, 2025
हिमाचल: DA ना मिलने से कर्मचारी वर्ग का फूटा गुस्सा, बोले-आर्थिक तंगी का बहाना नहीं चलेगा
सुक्खू सरकार को कर्मचारियों की चेतावनी, डीए नहीं मिला तो करेंगे बड़ा आंदोलन
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शिमला। हिमाचल प्रदेश में कर्मचारियों का धैर्य अब जवाब देने लगा है। महंगाई भत्ते ;क्।द्ध की किश्तों में लगातार हो रही देरी को लेकर कर्मचारियों में भारी असंतोष है। स्वतंत्रता दिवस जैसे महत्वपूर्ण अवसर पर भी जब सरकार ने डीए को लेकर कोई घोषणा नहीं की, तो यह बात कर्मचारियों के गले नहीं उतरी। अब कर्मचारी वर्ग ने सीधी चेतावनी दे दी है दृ अगर जल्द डीए नहीं मिला तो सरकार के खिलाफ बड़ा आंदोलन छेड़ा जाएगा।
हिमाचल अध्यापक संघ के अध्यक्ष एवं संयुक्त कर्मचारी महासंघ के वरिष्ठ नेता वीरेंद्र चौहान ने सरकार को दो टूक शब्दों में कहा कि अब आर्थिक तंगी का बहाना नहीं चलेगा। सरकार खुद बार-बार दावा करती है कि धन की कोई कमी नहीं है, तो फिर कर्मचारियों को उनका हक क्यों नहीं मिल रहा। चौहान ने कहा कि प्रदेश के लाखों कर्मचारी अपने लंबित 13 प्रतिशत डीए का इंतजार कर रहे हैं।
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उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने मई में बजट सत्र के दौरान 3 प्रतिशत डीए देने की घोषणा की थी, लेकिन अगस्त खत्म होने को है और अब तक आदेश जारी नहीं हुए। यह कर्मचारियों के साथ वादाखिलाफी है। उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता दिवस जैसे राष्ट्रीय पर्व पर सरकार की ओर से डीए की घोषणा की पूरी उम्मीद थी, लेकिन ऐसा न होने से कर्मचारी वर्ग निराश और आक्रोशित है।
चौहान ने तीखे शब्दों में सवाल उठाया कि जब सरकार डीए जैसी मौलिक वित्तीय जिम्मेदारी पूरी नहीं कर पा रही है, तो वह ओपीएस ;पुरानी पेंशन योजनाद्ध जैसे बड़े वादों को कैसे निभाएगी। डीए न मिलने से कर्मचारियों में गहरी नाराजगी है और अगर सरकार ने जल्द स्थिति नहीं सुधारी तो राज्यभर के कर्मचारी एकजुट होकर सड़कों पर उतरेंगे।
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वीरेंद्र चौहान ने शिक्षा विभाग में शिक्षकों की भारी कमी को भी गंभीर मुद्दा बताया। उन्होंने कहा कि राज्य के कई सरकारी स्कूलों में अध्यापकों के पद लंबे समय से खाली हैं, जिससे न केवल शिक्षा की गुणवत्ता प्रभावित हो रही है, बल्कि स्कूलों में बच्चों की संख्या भी घट रही है। स्कूलों को बंद करना समाधान नहीं है, समाधान है दृ शिक्षकों की समयबद्ध नियुक्ति। सरकार को तुरंत आयोग के माध्यम से खाली पद भरने चाहिए ताकि सरकारी स्कूलों पर लोगों का भरोसा बना रहे।
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गौरतलब है कि हाल ही में विधानसभा सत्र में मुख्यमंत्री सुक्खू ने राज्य की कमजोर वित्तीय स्थिति का हवाला देते हुए कहा था कि जब हालात सुधरेंगे तब डीए जारी किया जाएगा। लेकिन कर्मचारी संगठनों ने इस तर्क को सिरे से खारिज कर दिया है। उनका कहना है कि सरकार अगर खर्चों में कटौती और आर्थिक प्रबंधन को सही दिशा दे तो कर्मचारियों का लंबित डीए तत्काल जारी किया जा सकता है।
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सूत्रों के अनुसार सरकार पर बीते 10 वर्षों से लगभग 10 हजार करोड़ रुपये की कर्मचारियों से संबंधित देनदारी लंबित है। ऐसे में डीए की किश्तें रोककर सरकार ना केवल कर्मचारी वर्ग को नाराज़ कर रही है, बल्कि अपने वादों से पीछे हटने का संदेश भी दे रही है।