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June 7, 2025

देश भर में महकेगा हिमाचल का सेब : इस बार 3 करोड़ से ज्यादा पेटियों का अनुमान, जानें पूरी डिटेल

हिमाचल में इस बार पैदावार के अच्छे संकेत

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शिमला। हिमाचल प्रदेश का सेब, जो देशभर में अपनी मिठास और गुणवत्ता के लिए पहचाना जाता है, अब जल्द ही प्रदेश की मंडियों में दस्तक देने वाला है। खासकर निचले क्षेत्रों से इस महीने के अंत तक जल्दी पकने वाली किस्में बाज़ार में पहुंचनी शुरू हो जाएंगी।

प्रदेश सचिवालय में होगी बैठक

प्रदेश के बागवानी मंत्री जगत सिंह नेगी ने इस सीजन की तैयारियों को लेकर 12 जून को एक अहम बैठक बुलाई है, जिसमें बागवानों से लेकर ट्रांसपोर्टरों, कार्टन विक्रेताओं और आढ़तियों तक सभी हित धारकों को आमंत्रित किया गया है।

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यह बैठक प्रदेश सचिवालय में आयोजित होगी। बैठक का उद्देश्य स्पष्ट है सेब सीजन के सुचारु संचालन को सुनिश्चित करना, ताकि बागवानों की मेहनत सीधे मंडियों तक पहुंचे और किसी भी स्तर पर रुकावट न आए। इसके तहत ट्रकों की उपलब्धता, मंडियों की व्यवस्था और मौसम से प्रभावित उत्पादन की समीक्षा की जाएगी।

शिमला में सबसे ज्यादा पैदावार

मौसम की अनिश्चितता के बावजूद इस साल प्रदेश में सेब का उत्पादन बढ़ने की उम्मीद है। प्रारंभिक आकलन के मुताबिक प्रदेश भर में करीब 3.66 करोड़ पेटियों का उत्पादन हो सकता है। शिमला जिला हमेशा की तरह सबसे आगे है। अनुमान है कि यहां से 2.53 करोड़ पेटियां आएंगी। इसके बाद कुल्लू में 70.75 लाख, किन्नौर में 41.52 लाख और मंडी में 28.58 लाख पेटियों का उत्पादन संभावित है।

अन्य जिलों में अनुमान

  • चंबा- 6.16 लाख पेटियां
  • सिरमौर- 3.19 लाख पेटियां
  • लाहौल-स्पीति- 63,000 पेटियां
  • कांगड़ा- 24,000 पेटियां
  • सोलन- 9,000 पेटियां
  • बिलासपुर- 1,800 पेटियां
  • हमीरपुर- 300 पेटियां
  • ऊना- मात्र 100 पेटियां

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पिछले कुछ वर्षों का रिकॉर्ड

  • पिछले पांच वर्षों के आंकड़ों पर नज़र डालें तो हिमाचल का सेब उत्पादन हर साल मौसम की मेहरबानी पर निर्भर करता है।
  • 2020-21- 2.40 करोड़ पेटियां
  • 2021-22- 3.05 करोड़ पेटियां
  • 2022-23- 3.36 करोड़ पेटियां (अब तक का उच्चतम)
  • 2023-24- 2.11 करोड़ पेटियां (मौसम खराबी से गिरावट)
  • 2024-25- 2.51 करोड़ पेटियां (20 किलो वाले यूनिवर्सल कार्टन से पैकिंग)
    इस बार बागवानों की उम्मीदें अधिक हैं। हालांकि जून के अंत तक फील्ड से आने वाली रिपोर्टों के बाद ही अंतिम स्थिति स्पष्ट होगी।

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सेब की खेती आर्थिक रीढ़

हिमाचल की आर्थिक रीढ़ मानी जाती है सेब की खेती। इससे न केवल लाखों बागवानों की रोज़ी-रोटी जुड़ी है, बल्कि पैकिंग, ढुलाई, आढ़त और मज़दूरी जैसे कई क्षेत्रों में हज़ारों लोगों को रोज़गार भी मिलता है। इसलिए सरकार इस बार प्रयासरत है कि सीजन में किसी तरह की कोताही न हो और सेब की मिठास देशभर में समय पर पहुंचे।

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