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December 16, 2025
खुशखबरी ! सुक्खू सरकार ने शिक्षकों को दिया तोहफा- 805 प्रमोट होकर बनेंगे प्रिंसिपल
सरकार ने नीति में बदलाव करते हुए स्थायी पदोन्नति का निर्णय लिया है
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शिमला। हिमाचल प्रदेश सरकार ने सरकारी शिक्षकों को बड़ी सौगात दी है। हिमाचल स्कूल शिक्षा विभाग ने सरकारी स्कूलों में लंबे समय से खाली पड़े प्रधानाचार्यों के पदों को भरने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।
सूत्रों के अनुसार, हिमाचल के सरकारी स्कूलों में प्रधानाचार्यों के 805 पद खाली पड़े हैं। अब राज्य सरकार ने इन पदों पर स्थायी नियुक्ति करने का फैसला लिया है, जिससे शिक्षा व्यवस्था को मजबूती मिलने की उम्मीद है।
आपको बता दें कि सोमवार को सचिव शिक्षा राकेश कंवर की अध्यक्षता में विभागीय पदोन्नति समिति DPC, की अहम बैठक आयोजित की गई- जिसमें इस पूरी प्रक्रिया को आगे बढ़ाने पर विस्तार से चर्चा हुई। अब तक प्रदेश में प्रधानाचार्य पदों पर नियुक्ति ज्यादातर प्लेसमेंट के आधार पर की जाती थी। यानी शिक्षकों को अस्थायी तौर पर प्रधानाचार्य का जिम्मा दिया जाता था। लेकिन इस बार सरकार ने नीति में बदलाव करते हुए स्थायी पदोन्नति का निर्णय लिया है।
इसके तहत प्रवक्ता और मुख्याध्यापक पद पर कार्यरत योग्य शिक्षकों को पदोन्नत कर नियमित प्रधानाचार्य बनाया जाएगा। इससे न केवल शिक्षकों को प्रशासनिक स्थिरता मिलेगी, बल्कि स्कूलों में नेतृत्व भी मजबूत होगा।
हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के आदेशों के बाद विभाग ने पदोन्नति की प्रक्रिया में आवश्यक बदलाव किए हैं। पहले प्रधानाचार्य पदों के लिए डीपीसी राज्य लोक सेवा आयोग के माध्यम से होती थी, लेकिन कैबिनेट के फैसले के अनुसार अब सचिव शिक्षा की अध्यक्षता में गठित कमेटी यह जिम्मेदारी निभा रही है। इससे प्रक्रिया को तेज करने और विभागीय स्तर पर फैसले लेने में आसानी होने की उम्मीद जताई जा रही है।
प्रदेश में करीब 805 प्रधानाचार्य पद लंबे समय से रिक्त हैं और बीते दो वर्षों से पदोन्नति प्रक्रिया ठप पड़ी हुई है। पैनल तैयार करने, वरिष्ठता सूची, पात्रता और दस्तावेजों की जांच जैसी औपचारिकताओं के कारण यह मामला लगातार उलझता गया। विभाग का मानना है कि अगर और देरी हुई तो कानूनी और प्रशासनिक जटिलताएं बढ़ सकती हैं, इसलिए अब एक ही चरण में सभी रिक्त पदों को भरने की रणनीति बनाई जा रही है।
गौरतलब है कि 27 मई 2023 को विभाग ने कुछ मुख्याध्यापकों और प्रवक्ताओं को प्रमोट कर प्रधानाचार्य बनाया था। इसके बाद दिसंबर 2023 में भी कुछ शिक्षकों को प्लेसमेंट के आधार पर प्रधानाचार्य पद सौंपा गया। वर्तमान में कई स्कूलों में वरिष्ठ शिक्षकों को प्रधानाचार्य का अतिरिक्त कार्यभार दिया गया है, जिससे न तो प्रशासनिक फैसले समय पर हो पा रहे हैं और न ही शैक्षणिक गतिविधियों पर पूरा फोकस रह पा रहा है।
प्रमोशन में हो रही देरी का सबसे बड़ा खामियाजा शिक्षकों को भुगतना पड़ रहा है। कई ऐसे शिक्षक हैं जो सभी मापदंड पूरे करने के बावजूद प्रमोशन न मिलने के कारण सेवानिवृत्त हो रहे हैं। इससे न केवल उनका करियर प्रभावित हो रहा है, बल्कि विभाग अनुभवी नेतृत्व से भी वंचित हो रहा है।
सरकार का यह कदम यदि तय समय पर अमल में आता है तो इससे सरकारी स्कूलों की प्रशासनिक व्यवस्था को मजबूती मिलेगी। स्थायी प्रधानाचार्य मिलने से स्कूलों में अनुशासन, शैक्षणिक गुणवत्ता और योजनाओं में सुधार की उम्मीद है।