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January 12, 2025
हिमाचल: विदेश जाने का सपना देख रहे शिक्षकों को बड़ा झटका, बदल दिए नियम
आवेदनों की छंटनी के बाद बदले नियम
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शिमला। हिमाचल प्रदेश के सरकारी स्कूलों में कार्यरत शिक्षकों को सुक्खू सरकार ने बड़ा झटका दिया है। सुक्खू सरकार ने एक बार फिर नियमों में बदलाव करते हुए एक्सपोजर विजिट पर विदेश जाने का सपना देख रहे इन शिक्षकों के सपने को लगभग तोड़ दिया है। शिक्षा विभाग ने दूसरी बार नियमों में बदलाव किया है। इस बार तो नियम ऐसे समय पर बदले गए हैं, जब विदेश जाने के लिए शिक्षकों की आवेदन प्रक्रिया भी पूरी हो चुकी थी और आवेदनों की छंटनी तक की जा चुकी थी।
एक्सपोजर विजिट पर विदेश भेजे जाने वाले शिक्षकों की प्रक्रिया लगभग पूरी हो चुकी थी, लेकिन ऐन समय पर सरकार और शिक्षा विभाग ने नियमों मंे बदलाव कर दिया। जिससे शिक्षक वर्ग खासा नाराज भी है। बता दें कि इससे पहले शिक्षा विभाग ने 4 अक्टूबर 2024 को एक्सपोजर विजिट पर शिक्षकों को विदेश भेजने के लिए नियम बनाए थे। इन्हीं नियमों के आधार पर शिक्षकों ने आवेदन किया था। लेकिन अब इन नियमों में बदलाव किया गया है।
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नए नियमों के अनुसार नियमित सेवा के साथ सेवानिवृत्त के लिए कम से कम एक साल का समय बचा होना चाहिए। जबकि इससे पहले बनाए नियमों के अनुसार नियमित सेवा के साथ सेवानिवृत्त के लिए कम से कम पांच साल का सेवाकाल बचा होने की शर्त रखी गई थी। इसी तरह से जनजातीय क्षेत्रों में सेवाएं दे रहे शिक्षकों के लिए भी नियमों में बदलाव किया गया है।
इससे पहले तय नियमों में जनजातीय क्षेत्रों से संबंध रखने वाले शिक्षकों को दो अंक दिए गए थे। लेकिन अब नियमों में बदलाव करते हुए जनजातीय क्षेत्रों में शिक्षकों ने कितने साल सेवा दी है, उसके हिसाब से अंक तय किए गए हैं। यदि किसी शिक्षक ने जनजातीय क्षेत्र में तीन से पांच साल तक नौकरी की है तो उसे तीन अंक मिलेंगे। इसके अलावा पांच से आठ साल सेवा देने वाले शिक्षकों को 4 अंक मिलेंगे। वहीं आठ साल से अधिक सेवा करने वाले शिक्षकों को पांच अंक निर्धारित किए गए हैं।
हालांकि शिक्षा विभाग के नए नियमों पर सवाल उठने भी शुरू हो गए हैं। लोगों का मानना है कि एक्सपोजर विजिट पर शिक्षकों को इसलिए विदेश टुअर पर भेजा जाता है, ताकि वहां पर शिक्षा के क्षेत्र में प्राप्त ज्ञान को वह अपने स्कूलों में लागू कर सकें। लेकिन जिस शिक्षक की एक साल बाद रिटायरमेंट होने वाली होगी, वह कितने समय तक उस ज्ञान को स्कूलों में दे पाएगा।
दरअसल शिक्षकों को विदेश भेजने की चयन प्रक्रिया प्रारंभिक व उच्च शिक्षा निदेशालय द्वारा की जाती है। शिक्षकों को विदेश भेजने और वहां पर रहने खाने से लेकर शिक्षण संस्थानों तक ले जाने की व्यवस्था समग्र शिक्षा निदेशालय द्वारा की जाती है। प्रधानाचार्य, मुख्य अध्यापक, प्रवक्ता, डीपीई शिक्षकों के चयन का जिम्मा उच्च शिक्षा निदेशालय के अधीन रहता है। जबकि जेबीटी, सीएचटी, टीजीटी, सीएंडवी, पीईटी श्रेणी के शिक्षकों के चयन का जिम्मा प्रारंभिक शिक्षा विभाग के अधीन है।
निदेशक उच्चतर शिक्षा विभाग डॉ. अमरजीत शर्मा ने कहा कि चयन में पूरी पारदर्शिता बरती जा रही है। कुछ मापदंड बदले गए हैं ताकि पात्र शिक्षकों का चयन हो सकें।