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July 9, 2025
मोदी सरकार के खिलाफ हिमाचल में गरजे मजदूर-किसान, 26 हजार न्यूनतम वेतन सहित रखी ये मांगे
केन्द्रीय ट्रेड यूनियनों ने किया प्रदर्शन, केंद्र सरकार के चार लेबर कोड का जताया विरोध
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शिमला। हिमाचल प्रदेश में आज मंगलवार को केंद्र सरकार की मजदूर विरोधी नीतियों और चार श्रम संहिताओं (लेबर कोड) के खिलाफ जबरदस्त जनाक्रोश देखने को मिला। केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के राष्ट्रव्यापी आह्वान पर प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में हजारों की संख्या में किसान, मजदूर, औद्योगिक श्रमिक, और विभिन्न संगठनों से जुड़े कर्मचारी सड़कों पर उतर आए। शिमला, मंडी, कुल्लू, ठियोग, रामपुर सहित कई स्थानों पर जोरदार रैलियां और जनसभाएं आयोजित की गईं।
राजधानी शिमला में आक्रोशित प्रदर्शनकारियों ने पंचायत भवन से चौड़ा मैदान तक एक विशाल रैली निकाली, जिसमें मजदूरों, आंगनबाड़ी वर्करों, मिड-डे मील कर्मचारियों, मनरेगा मजदूरों, निर्माण क्षेत्र के श्रमिकों और आउटसोर्स कर्मियों ने भाग लिया। चौड़ा मैदान में हुई जनसभा को राष्ट्रीय स्तर के किसान और मजदूर नेताओं ने संबोधित किया। सीटू प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा ने कहा कि केंद्र सरकार चार लेबर कोड के माध्यम से देश के मजदूर वर्ग पर गुलामी थोपना चाहती है। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर यह नीतियां वापस नहीं ली गईं, तो देश भर में और बड़े आंदोलन खड़े किए जाएंगे।
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मंडी में भी ट्रेड यूनियनों के बैनर तले किसानों और मजदूरों की बड़ी रैली निकाली गई। यहां पर भी सरकार की नीतियों के खिलाफ जमकर नारेबाजी हुई। वक्ताओं ने कहा कि चारों लेबर कोड लागू होने के बाद लगभग 70 % उद्योग और 74 % मजदूर श्रम कानूनों की सुरक्षा से बाहर हो जाएंगे।
विजेंद्र मेहरा ने कहा कि यह कोड न केवल मजदूरों की हड़ताल के अधिकार को समाप्त करते हैं] बल्कि उन्हें बारह घंटे तक काम करने के लिए मजबूर करेंगे। उन्होंने न्यूनतम वेतन 26,000 रुपये प्रति माह सुनिश्चित करने, सभी श्रमिकों के लिए सामाजिक सुरक्षा पेंशन लागू करने, मनरेगा में 200 कार्यदिवस और ₹600 प्रतिदिन मजदूरी निर्धारित करने की मांग दोहराई।
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हड़ताल और रैलियों में आंगनबाड़ी, मिड डे मील, मनरेगा, निर्माण, स्वास्थ्य, बीआरओ, आउटसोर्स, ठेका कर्मियों के साथ-साथ बद्दी-बरोटीवाला-नालागढ़ औद्योगिक क्षेत्र, सतलुज जल विद्युत निगम, होटल, सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट, मंदिर, रिटेल स्टोर, होटल, रेहड़ी-फड़ी, और मेगा स्टोर्स से जुड़े हजारों श्रमिक शामिल हुए। इस राष्ट्रव्यापी हड़ताल को हिमाचल किसान सभा, जनवादी महिला समिति, एसएफआई, डीवाईएफआई, एआईएलयू, पेंशनर्स एसोसिएशन, दलित शोषण मुक्ति मंच, जन विज्ञान आंदोलन समेत कई संगठनों का समर्थन प्राप्त रहा।
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प्रदर्शनकारियों ने साफ किया कि अगर केंद्र सरकार मजदूर और किसानों के हितों की अनदेखी करती रही, तो देशभर में उग्र आंदोलन छेड़ा जाएगा। यह केवल मजदूरों का आंदोलन नहीं, बल्कि देश के मेहनतकश वर्ग की लड़ाई है – रोजगार, न्याय और सम्मान के लिए।