#यूटिलिटी
April 13, 2025
हिमाचल में अब ड्राइविंग लाइसेंस बनाना हुआ आसान, RTO जाने की नहीं पड़ेगी जरूरत
प्रदेश में ड्राइविंग स्कूल संचालकों पर जल्द लागू होंगे नए नियम
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शिमला। हिमाचल प्रदेश के युवाओं के लिए ड्राइविंग लाइसेंस बनवाना अब पहले जैसा झंझट भरा नहीं रहेगा। नए वित्तीय वर्ष में केंद्र सरकार ने ड्राइविंग प्रशिक्षण केंद्रों के लिए नई व्यवस्था लागू की है, जिससे अब गाड़ी चलाना सीखने वाले युवाओं को RTO या MVI के चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे। परिवहन विभाग ने इसकी तैयारियां शुरू कर दी हैं और जल्द ही प्रदेश में इसे लागू किया जाएगा।
सरकार की इस नई योजना के तहत जो युवक किसी मान्यता प्राप्त ड्राइविंग ट्रेनिंग सेंटर से प्रशिक्षण लेंगे, उन्हें वहीं पर टेस्ट दिया जाएगा और उसी केंद्र से उनका ड्राइविंग लाइसेंस बन जाएगा। ये केंद्र ही लाइसेंस संबंधी दस्तावेज विभाग को भेजेंगे, जिसके बाद अभ्यर्थी को डिजिटल माध्यम से लाइसेंस मिल जाएगा। इससे सरकारी दफ्तरों के चक्कर और अनावश्यक समय की बर्बादी से छुटकारा मिलेगा।
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नई प्रणाली पूरी तरह से डिजिटल होगी, जिसमें बायोमेट्रिक डेटा, ऑनलाइन टेस्ट रिकॉर्डिंग और दस्तावेज सत्यापन शामिल रहेगा। इससे प्रक्रिया में पारदर्शिता आएगी और फर्जीवाड़े की गुंजाइश खत्म हो जाएगी। सरकार का उद्देश्य है कि ड्राइविंग लाइसेंस बनाने की प्रणाली को अधिक सुरक्षित, सरल और तेज़ बनाया जाए।
ड्राइविंग ट्रेनिंग सेंटर खोलने के लिए निजी संस्थानों को भी अवसर मिलेगा। इसके लिए कुछ तकनीकी और भौगोलिक मापदंड तय किए गए हैं। जैसे कि-
इन केंद्रों को स्थापित करने में आने वाली लागत को कम करने के लिए केंद्र सरकार 2.5 करोड़ से 7 करोड़ रुपये तक की सब्सिडी देगी। यह राशि सेंटर की श्रेणी और उपलब्ध सुविधाओं के अनुसार दी जाएगी। अत्याधुनिक संसाधनों से युक्त जो संस्थान होंगे, उन्हें प्राथमिकता के आधार पर सब्सिडी और मंजूरी दी जाएगी।
प्रदेश में इस योजना को लागू करने के लिए परिवहन विभाग ने केंद्र सरकार से पत्राचार किया है और इच्छुक संस्थानों से आवेदन आमंत्रित किए जाएंगे। विभागीय वेबसाइट पर जल्द ही आवेदन प्रक्रिया और मानकों से जुड़ी विस्तृत जानकारी सार्वजनिक की जाएगी। पहले से संचालित निजी ड्राइविंग स्कूल भी तय शर्तों के अनुसार अपग्रेड होकर इस योजना का हिस्सा बन सकते हैं।
यह योजना प्रदेश के युवाओं के लिए गेमचेंजर साबित हो सकती है। उन्हें अब लाइसेंस के लिए लंबी कतारों और बार-बार दस्तावेजी प्रक्रिया से गुजरने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी। ड्राइविंग सेंटर से प्रशिक्षण लेने के बाद उन्हें उसी जगह पर लाइसेंस मिल सकेगा। इससे समय, पैसे और ऊर्जा की बचत होगी।
इस व्यवस्था से न केवल लाइसेंस प्रणाली मजबूत होगी, बल्कि प्रशिक्षित चालकों की संख्या भी बढ़ेगी। इससे सड़क सुरक्षा मानकों में सुधार होगा और प्रदेश में सड़क दुर्घटनाओं में भी कमी आने की संभावना है। परिवहन विभाग का लक्ष्य है कि हर ड्राइवर पूरी तरह प्रशिक्षित और प्रमाणित हो।