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July 17, 2025
सेब से लदे पेड़ों पर सुक्खू सरकार नहीं चलने देगी आरी, जाने दिल्ली से लौटते ही क्या बोले CM
सीएम सुक्खू बोले-सरकार पेड़ काटने के पक्ष में नहीं; सुप्रीम कोर्ट जाएंगे
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शिमला। हिमाचल प्रदेश में सरकारी वन भूमि पर अवैध कब्जे कर लगाए गए सेब बागीचों को हटाने का मामला अब और अधिक गंभीर होता जा रहा है। हाईकोर्ट के निर्देशों के तहत वन विभाग लगातार कार्रवाई कर रहा है और सेब से लदे पेड़ों को काटा जा रहा है। जिसका हर तरफ विरोध भी हो रहा है। इस सब के बीच अब मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू का बयान सामने आया है।
दरअसल अब प्रदेश सरकार इस मुद्दे को लेकर सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी कर रही है। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने इस विषय पर स्पष्ट रुख अपनाते हुए कहा है कि राज्य सरकार सेब के फलों से लदे पेड़ों को काटने के पक्ष में नहीं है। उनका कहना है कि इस तरह की कार्रवाई से सीमांत बागवानों की आजीविका पर सीधा असर पड़ रहा है।
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सीएम सुक्खू ने दिल्ली से लौटने के बाद शिमला में कहा कि सरकार की मंशा यह नहीं है कि लोगों की मेहनत पर आरी चले। उन्होंने कहा कि सरकार इस मामले में सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएगी ताकि बागवानों को राहत मिल सके। उन्होंने यह भी बताया कि जल्द ही बागवानी मंत्री के साथ विस्तृत चर्चा कर रणनीति तैयार की जाएगी। मुख्यमंत्री ने यह भी संकेत दिए कि सरकार चाहती है कि यदि पेड़ हटाने की नौबत आती है तो पहले उनका ऑक्शन किया जाए, ताकि बागवानों को कम से कम कुछ आर्थिक राहत मिल सके। लेकिन हाईकोर्ट ने सरकार के इस प्रस्ताव को मंजूरी नहीं दी है।
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अब सवाल यह उठ रहा है कि सीएम सुक्खू इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट जाने की बात कह रहे हैं। जबकि दूसरी तरफ वन विभाग हर दिन सैंकड़ों पेड़ों पर आरी चला रहा है। कोटखाई उपमंडल में करीब 85 फीसदी पेड़ों को काटा जा चुका है। ऐसे में जब तक सरकार सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएगी, तब तक शायद कई बागवानों की मेहनत धराशायी हो चुकी होगी।
इस मामले में सुक्खू सरकार में शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर भी खासे नाराज हैं। उनका कहना था कि सेब से लदे पेड़ों को काटना सरासर गलत है। यह समय पेड़ों को लगाने का होता है और इस समय पेड़ों को नहीं काटा जाना चाहिए था। वहीं उन्होंने पांच बीघा से कम जमीन वाले बागवानों को राहत देने की भी पैरवी की है। उन्होंने पूर्व की वीरभद्र सरकार की नीति को लागू करने की मांग की थी।
इस बीच ऊपरी शिमला के कोटखाई उपमंडल में सरकारी वन भूमि पर स्थापित किए गए अवैध सेब बागीचों को हटाने की कार्रवाई तेज हो गई है। खासकर चैथला क्षेत्र में बड़ी संख्या में सेब से लदे पेड़ों को काटा जा चुका है। स्थानीय सूत्रों के अनुसार अब तक लगभग 85 फीसदी से ज्यादा सेब पौधे काटे जा चुके हैं, जिनमें कई पेड़ इस सीजन में फलदार थे। अनुमान है कि केवल चैथला क्षेत्र में ही करीब चार हजार पौधों पर आरी चली है।
हाईकोर्ट ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि सरकारी वन भूमि के अवैध अतिक्रमण पर किसी प्रकार की नरमी नहीं बरती जाएगी। न्यायालय ने यह भी कहा है कि अगर कोई वन विभाग की कार्रवाई में बाधा डालता है तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए। कोर्ट ने 29 जुलाई को अगली सुनवाई तय की है, जिसमें सरकार और वन विभाग को स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करनी होगी कि अब तक कितनी भूमि से अतिक्रमण हटाया गया है। हाईकोर्ट ने ये भी निर्देश दिए हैं कि सिर्फ सरकारी वन भूमि ही नहीं, बल्कि अन्य अतिक्रमित क्षेत्रों से भी बागीचों को हटाया जाए।
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इस पूरे मामले ने राजनीतिक रंग भी पकड़ लिया है। राज्य सरकार पर सीमांत बागवानों के हितों की रक्षा करने का दबाव बढ़ रहा है। खास बात यह है कि राज्य सरकार के कई मंत्री स्वयं भी बागवान हैं, और स्थानीय स्तर पर उनके ऊपर जनता की नाराजगी का असर दिखने लगा है। वहीं[ माकपा नेता राकेश सिंघा के नेतृत्व में सेब उत्पादक संघ ने बागवानों की आवाज उठाते हुए सरकार से ठोस राहत नीति की मांग की है। संघ का कहना है कि जो बागवान वर्षों से वन भूमि पर खेती कर रहे हैं, उन्हें पूरी तरह उजाड़ना न्यायोचित नहीं है।