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June 3, 2025

हिमाचल : बाप-बेटे की जोड़ी बेमिसाल- शूटिंग में दोनों ने जीता मेडल, अर्जुन ने बनाया नया रिकार्ड

दस साल कि उम्र में अर्जुन ने रचा इतिहास

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Arjun Singh Chauhan

सिरमौर। हिमाचल प्रदेश की धरती न सिर्फ प्राकृतिक सुंदरता के लिए मशहूर है, बल्कि यहां की प्रतिभाएं भी देश-दुनिया में अपना परचम लहरा रही हैं। यहां के होनहार बच्चे कम उम्र में ही ऐसे कारनामे कर रहे हैं, जिन पर पूरे प्रदेश को गर्व है। चाहे शिक्षा हो, खेलकूद हो, संगीत हो या विज्ञान- हिमाचल के बच्चे हर क्षेत्र में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा रहे हैं।

हिमाचल की शान नन्हे सितारे

इन बच्चों की सफलता के पीछे सिर्फ मेहनत ही नहीं, बल्कि उनके माता-पिता, शिक्षकों और कोचों का भी अहम योगदान है, जो लगातार उन्हें प्रोत्साहित करते रहते हैं। हिमाचल के ये नन्हें सितारे सिर्फ अपने परिवार के नहीं, बल्कि पूरे राज्य का गर्व है। इसी कड़ी में ताजा मामला हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले से सामने आया है।

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पिता-पुत्र की जोड़ी कमाल

हाल ही में सिरमौर में जिला स्तरीय निशानेबाजी प्रतियोगिता आयोजित की गई थी। इस प्रतियोगिता में बाप-बेटे की एक जोड़ी ने सबका मन जीत लिया। दोनों ने अपने-अपने वर्ग में पदक जीतकर एक नई मिसाल पेश की है।

 

आपको बता दें कि ये पिता-पुत्र पांवटा साहिब के हरिपुर खोल गांव के रहने वाला हैं। इस प्रतियोगिता में 10 साल पांच महीने के अर्जुन सिंह चौहान और उनके पिता अभय सिंह चौहान ने कुल तीन पदक हासिल किए हैं।

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दो पदक किए हासिल

अर्जुन सिंह ने दो अलग-अलग इवेंट्स में भाग लेकर कांस्य पदक हासिल किया है। अर्जुन ने 10 मीटर राइफल सब यूथ वर्ग और 50 मीटर राइफल प्रोन सब यूथ (ओपन साइट) में दो पदक हासिल किए हैं। इस उपलब्धि के साथ अर्जुन 50 मीटर राइफल प्रोन सब यूथ (ओपन साइट) वर्ग में भाग लेने वाला सबसे युवा निशानेबाज बन गया है।

पिता ने हासिल किया रजत

वहीं, अर्जुन के पिता अभय सिंह चौहान एक समर्पित निशानेबाज हैं। उन्होंने इस प्रतियोगिता में 25 मीटर स्टेंडर्ड पिस्टल मास्टर्स पुरुष वर्ग में रजत पदक जीता। अभय सिंह अर्जुन के मार्गदर्शक हैं। उन्होंने छोटी उम्र से ही अर्जुन को शूटिंग सिखाना शुरू कर दी थी।

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खेल का नहीं डाला कभी दबाव

अर्जुन की मां दीपा चौहान डिग्री कॉलेज पांवटा साहिब में सहायक प्रोफेसर हैं। उन्होंने बताया कि उन्होंने कभी भी अर्जुन पर किसी खेल का दबाव नहीं डाला। अर्जुन खुद ही कम उम्र से ही शूटिंग की ओर आकर्षित हुआ। ऐसे में उसकी रुचि को देखते हुए अभय अर्जुन को अपने साथ प्रेक्टिस पर ले जाते थे।

 

अर्जुन की इस सफलता ने ये साबित कर दिया है कि सही मार्गदर्शन और मेहनत के दम पर किसी भी उम्र में कोई भी मुकाम हासिल किया जा सकता है। अर्जुन का अब लक्ष्य है कि वो राज्य स्तर पर किसी प्रतियोगिता में भाग ले।

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