#धर्म
February 6, 2025
हिमाचल का ऐसा मंदिर- जिसकी छत लगाने के लिए दो मासूम बच्चियों ने दिया था बलिदान
आज भी टिकी है महाभारत काल मंदिर की छत
शेयर करें:
शिमला। देवभूमि हिमाचल के हर गांव, हर पहाड़ी और हर घाटी में कोई न कोई प्राचीन मंदिर स्थित है। हिमाचल प्रदेश के लोग अपनी संस्कृति और धार्मिक मान्यताओं से गहराई से जुड़े हुए हैं। हिमाचल के लोग देवी-देवताओं में गहरी आस्था रखते हैं और यही कारण है कि यहां सालभर धार्मिक उत्सवों और मेलों का आयोजन होता रहता है।
हिमाचल प्रदेश में कई प्राचीन मंदिर हैं, जो हजारों साल पुराने हैं और ऐतिहासिक, पौराणिक एवं आध्यात्मिक महत्व रखते हैं। यहां के कई मंदिरों से चमत्कारी घटनाएं जुड़ी हुई हैं, जो लोगों की आस्था को और भी मजबूत बनाती हैं। कई मंदिरों में आज भी दिव्य शक्ति और चमत्कारों की कहानियां सुनने को मिलती हैं।
आज के अपने इस लेख में हम आपको हिमाचल के एक ऐसे मंदिर के बारे में बताएंगे- जिसका छत लगाने के लिए दो मासूम बच्चियों की बलि दी गई थी। आज भी इस मंदिर में पंजी और शंबी नाम की दो बच्चियों की समाधि मौजूद हैं। जिनके बलिदान पर महाभारत काल के इस मंदिर की छत टिकी हुई है।
कथाओं के अनुसार, महाभारत काल में जब पांडव अज्ञातवास के दौरान हिमालय की पर्वतमालाओं में छुपे थे। इस दौरान वे चंबा में भी ठहरे- जहां उन्होंने एक शिव मंदिर का निर्माण किया। मगर रातों-रात बनाए गए इस मंदिर की छत का काम अधूरा रह गया।
इसके बाद कई राजाओं ने इस मंदिर की छत लगवाने का प्रयास किया, लेकिन हर बार छत गिर जाती थी। ऐसे में जब वर्ष 1844 के बाद श्री सिंह चंबा के राजा हुए तो उन्होंने राज पुरोहितों से इस मंदिर की छत लगवाने का उपाय पूछा। उन्हें बताया गया कि इस मंदिर में दो कन्याओं की बलि लगेगी तब कहीं जाकर छत टिक पाएगी।
शर्त सुनकर राजा ने इलाके में ऐलान करवाया कि जो कोई अपनी बेटियों की बलि देगा उसे इनाम दिया जाएगा। फिर एक व्यक्ति अपनी दो बेटियों पंजी और शंबी को राजा के पास ले गया और उनकी बलि दी गई। इस बलि के बाद ही मंदिर की छत निर्माण पूर्ण हो पाया और आज तक इस मंदिर की छत नहीं गिरी।
बलि दी गई इन्हीं दो बेटियों में से पंजी के नाम पर पंजेई पंचायत और शंबी के नाम पर शंवई गांव का नाम पड़ा। आज भी ग्राम पंचायत पंजेई के शंवई गांव में भगवान शिव का यह एतिहासिक मंदिर मौजूद है।