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February 7, 2025

हिमाचल की वो देवी मां- जो 52 तरह की बीमारियों से दिलाती हैं छुटकारा

माता को भेंट में मिली थी 101 बीघा जमीन

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Koyla Bhagwati Devi

शिमला। देवभूमि हिमाचल प्रदेश के लोगों की देवी-देवताओं से जुड़ी आस्था उनके सांस्कृतिक और धार्मिक जीवन का अभिन्न हिस्सा है। यहां के हर गांव का अपना इष्ट देवता या देवी होती है। हिमाचल के लोग अपने देवी-देवताओं को परिवार के सदस्य की तरह मानते हैं और हर खुशी या संकट के समय उनकी पूजा-अर्चना करते हैं।

देवी-देवताओं में गहरी आस्था

देवी-देवताओं के स्वागत के लिए निकाले जाने वाले जुलूस यहां की परंपरा का प्रतीक हैं। हिमाचल के लोगों की यह गहरी धार्मिक आस्था उन्हें न केवल एक-दूसरे से जोड़ती है, बल्कि उनकी समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर को भी संजोए रखती है। उनके लिए देवी-देवता केवल पूजा के प्रतीक नहीं, बल्कि उनके जीवन की शक्ति और प्रेरणा हैं।

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बीमारियों से दिलाती हैं छुटकारा

आज के अपने इस लेख में हम आपको हिमाचल की एक ऐसी देवी मां के बारे में बताएंगे- जो 52 तरह की बीमारियों से छुटकारा दिलाती हैं। राजा ने माता के इसी चमत्कार को देख उन्हें 101 बीघा जमीन भेंट की थी।

 

कई लोगों मानते हैं कुलदेवी

हम बात कर रहे हैं मंडी के बल्ह घाटी की रानी, बड़ी माता कोयला भगवती जी की- जिन्हें सुंदरनगर, करसोग, गोहर व सुन्नी के अलावा शिमला, सोलन, नालागढ़ व चंडीगढ़ के ज्यादातर लोग भी अपनी कुल देवी मानते हैं।

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रोजाना होती थी एक मौत

माता रानी के पुजारी बताते हैं कि सैकड़ों साल पहले इस इलाके में मडभखन देवी का प्रकोप था- जिसके कारण राजगढ़ में रोजाना एक मौत होती थी। मौत ना होने पर श्मशान में घास का पुतला जलाया जाता था।

जलाया जाता था पुतला

इस बात से परेशान होकर लोग राजा के पास गए और रक्षा की गुहार लगाई। इसके बाद राजा को उनके सपने में माता कोयला भगवती के दर्शन मिले तो उन्होंने देवी मां के आदेश अनुसार- माता के पुजारी को कलकत्ता से हिमाचल बुला लिया। फिर मां कोयला भगवती जी ने अपनी शक्तियों से सभी को मडभखन देवी के प्रकोप से निजात दिलवाई।

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चट्टान में विराजमान हुई मां

इसके बाद क्षेत्र के लोगों ने एक बार फिर माता का आह्वान किया और दुबारा से उनके दर्शन करने की गुहार लगाई। ऐसे में माता ने अपने गूर के जरिए देववाणी में बताया कि राजगढ़ गांव की पहाड़ियों के बीच एक काली चट्टान पर मैं विराजित हूं- जिससे घी बहता है।

101 बीघा जमीन की भेंट

फिर जब राजा को इस बात की खबर मिली तो- राजा ने देवी को 101 बीघा जमीन भेंट कर दी। तब से उसी दिवस पर माता का गलू का मेला मनाया जाता है। हालांकि, किन्हीं कारणों के चलते अब ये घी टपकना बंद हो गया है, लेकिन भक्तों की आस्था अब भी बरकरार है।

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