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November 18, 2025

हिमाचल का चमत्कारी शिवालय- जहां भोलेनाथ ने खेले थे चार-पासे, हर अरदास होती है पूरी

कांगड़ा की हरी वादियों में स्थित चमत्कारी शिवधाम

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Shibbothan Temple

कांगड़ा। हिमाचल प्रदेश के जिला कांगड़ा स्थित जवाली उपमंडल के भरमाड़ क्षेत्र में स्थित शिब्बोथान मंदिर इन दिनों श्रद्धालुओं के लिए आकर्षण और आस्था का केंद्र बना हुआ है। यह धाम केवल पूजा स्थल नहीं, बल्कि चमत्कारों और लोकमान्यताओं से जुड़ा एक अनूठा आध्यात्मिक केंद्र है। स्थानीय मान्यताओं के अनुसार यह भूमि तपोस्थली है, जहां वर्षों तक साधकों और भक्तों ने कठिन साधना की।

शिवलिंग से निकला था दिव्य प्रकाश

किंवदंतियों के अनुसार सदियों पहले इस स्थान पर तपस्या के दौरान बाबा शिब्बोथान को भ्रमरूप शिव के दर्शन हुए थे। वहीं एक कैलाश-आकृति वाले शिवलिंग से दिव्य प्रकाश निकलने की घटना ने इस स्थल को और पवित्र बना दिया। माना जाता है कि भगवान शिव ने गूगा जाहरवीर के स्वरूप में भक्त शिब्बोथान के साथ चार-पासे (पासा) खेलकर तीन वरदान प्रदान किए थे।

 

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जहर को बनाते हैं बेअसर

इस मंदिर के साथ जुड़ा सबसे बड़ा चमत्कार है—मंदिर की ‘भगारा मिट्टी’ और ‘जलाअमृत’, जिसके बारे में कहा जाता है कि यह किसी भी प्रकार के जहर को असरहीन बना देता है। सांप काटने या विषैले संक्रमण के मामलों में स्थानीय लोग आज भी इस पवित्र अमृत का सेवन करते हैं।

हर साल एक ही दिन निकलते हैं बाहर

मंदिर में 12वीं शताब्दी के 31 लोहे के संगल मौजूद हैं, जिनमें 101 लड़ियां हैं। ये संगल केवल गुग्गा नवमी के दिन ही मंदिर परिसर से बाहर निकाले जाते हैं। इन्हें शिव-शक्ति का प्रतीक माना जाता है और संगल निकालने की परंपरा कई शताब्दियों से चली आ रही है।

 

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मदिर में स्थित है बेर का पेड़

मंदिर परिसर में एक विशेष वेरी (बेर) का पेड़ है, जिसमें कांटे नहीं हैं। स्थानीय लोग इसे शिव का आशीर्वाद मानते हैं। उनका कहना है कि इस पवित्र भूमि पर भक्त को कोई दुख या चोट न पहुंचे, इसलिए वृक्ष ने अपनी प्रकृति बदल ली।

सावन-भादों में लगते हैं दिव्य मेले

हर वर्ष सावन-भादों माह में मंदिर परिसर में बड़े पैमाने पर मेले आयोजित होते हैं। इस बार 20 तारीख से शुरू हो रहे मेले में दूर-दूर से श्रद्धालु पहुंचेंगे। रात भर भजन-कीर्तन, पूजा-अर्चना और दिव्य अनुष्ठान का आयोजन किया जाएगा।

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