#धर्म
October 4, 2025
हिमाचल की इस देवी ने पांडवों को दिया था जीत का आशीर्वाद, बिना छत वाले मंदिर में हैं विराजमान
मां ने पूरी की थी पूर्व CM वीरभद्र सिंह की मुराद
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मंडी। जो कोई भी, सर्दियों में हिमाचल की इन देवी के दर्शन करने गया है, वो कभी वापस नहीं लौटा। पूरे 11 हजार फीट की उंचाई पर विराजती हैं- हमारी ये देवी मईया जिनके मंदिर पर आजतक कोई भी छत नहीं लगवा सका। मार्कंडेय ऋषि के तप से प्रकट हुई थीं ये मातारानी जिन्होंने पूर्व CM वीरभद्र सिंह की मन्नत को भी पूरा किया था।
आज बात मंडी जिले की रक्षक देवी माता शिकारी जी की जिन्होंने पांडवों को जीत का आशीर्वाद दिया था। इस मंदिर की कथा शुरू होती है मार्कंडेय ऋषि से जिन्होंने इसी स्थान पर कई सालों तक तपस्या की थी। जिससे खुश होकर मां दुर्गा अपने शक्ति रूप में इस जगह पर स्थापित हुईं।
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फिर पांडवों ने भी यहां तपस्या की और ये मंदिर बनाया- जो किसी वजह से पूरा नहीं बन सका और पांडव यहां से लौट गए। इसके बाद कई बार इस मंदिर पर छत लगाना का प्रयास किया गया मगर माता रानी ने इजाजत ही नहीं दी। ऐसे में आज भी शिकारी देवी मंदिर की मूर्तियां दीवारों पर ही स्थापित हैं।
इस मंदिर का एक चमत्कार ये भी है कि सर्दियों में यहां हर साल कई फीट तक बर्फ गिरती है- मगर माता की मूर्ती तक बर्फ का एक कतरा भी नहीं टिकता है। वहीं, मंदिर कमेटी के एक सदस्य बताते हैं कि स्व. वीरभद्र सिंह को इसी मंदिर से मन्नत मांगने के बाद विक्रमादित्य सिंह के रूप में पुत्र की प्राप्ति हुई थी।
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हर साल सर्दी के ठीक पहले इस मंदिर के कपाट तीन-चार महीने के लिए बंद कर दिए जाते हैं और देवी दर्शन पर पाबंदी लगा दी जाती है लेकिन इसके बावजूद भी अगर कोई सर्दियों के दौरान इस मंदिर में दर्शन करने जाता है तो कभी भी लौटकर वापस नहीं आता। स्थानीयों के अनुसार इनमें से कुछ की मौत हो जाती है तो कुछ लापता हो जाते हैं।
पुराने लोग बताते हैं कि पहले के जमाने में जब इस जंगल में लोग शिकार करते थे- तो धनुर्धर माता से शिकार की प्रार्थना करते थे और उन्हें शिकार सफल होने पर उन्हें भेंट भी चढ़ाते थे। इस मंदिर से आज भी कोई भक्त खाली हाथ नहीं लौटता और माता अपने भक्तों की सच्चे मन से मांगी सभी मनोकामनाओं को पूरा करती हैं।