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September 7, 2025
आज से पितृपक्ष हुए शुरू, एक क्लिक में यहां जानिए कब होगा कौन सा श्राद्ध
कौए और कुत्तों को करवाना होता है भोजन
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शिमला। आज 7 सितंबर से पितृ पक्ष की शुरूआत हो गई है। हिंदू धर्म में पितृ पक्ष का बहुत महत्व है। इस दौरान पितरों का श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान करने से उन्हें मुक्ति मिलती है। कहा जाता है कि इन दिनों में पितृ धरती पर आते हैं और परिवार को आशीर्वाद देते हैं।
आज से शुरू हुए श्राद्ध पक्ष 21 सितंबर यानी अश्विन अमावस्या तक किए जाएंगे। धार्मिक ग्रंथो के अनुसार अश्विन कृष्णा पक्ष के सभी 15 दिन पितरों का तर्पण, पिंडदान, श्राद्ध उनके शरीर त्यागने वाली तारीख को किया जाता है।
धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक भाद्रपद की पूर्णिमा से श्राद्ध पक्ष शुरू हो जाता है। आज पूर्णिमा का श्राद्ध किया जाएगा। इसके बाद आश्विन अमावस्या तक रोजाना पितरों के निमित्त श्रद्धा भक्ति भाव से उनका श्राद्ध किया जाएगा।
7 सितंबर रविवार को पूर्णिमा के दिन शरीर त्यागने वाले पितरों का श्राद्ध, पिंडदान, तर्पण होगा। 8 सितंबर सोमवार को आश्विन कृष्ण पक्ष की पहली तारीख है। जिन पितरों ने प्रतिपदा तारीख में अपना शरीर त्यागा है, इस दिन उनका श्राद्ध किया जाएगा।
9 सितंबर मंगलवार को उन पितरों पूर्वजों का श्राद्ध होगा जिन्होंने अपना पंच भौतिक शरीर द्वितीया तारीख में त्यागा है। 10 सितंबर बुधवार को 2 श्राद्ध किए जाएंगे। जिन पितरों ने तृतीय, चतुर्थी तारीख में अपना पंच भौतिक शरीर त्यागा है इस दिन दोनों श्राद्ध किए जाएंगे।
11 सितंबर गुरुवारो को पंचमी तारीख का श्राद्ध होगा। 12 सितंबर शुक्रवार को षष्ठी तारीख में शरीर त्यागने वाले पितरों का श्राद्ध करने पर लाभ मिलेगा। 13 सितंबर शनिवार को सप्तमी तारीख में शरीर त्यागने वाले पितरों का श्राद्ध होगा।
14 सितंबर रविवार को अष्टमी तारीख में शरीर त्यागने वाले पितरों का श्राद्ध होगा। 15 सितंबर सोमवार को सौभाग्यवती स्त्रियों, माता आदि का श्राद्ध होगा। 16 सितंबर मंगलवार को उन पितरों का श्राद्ध होगा जिन्होंने दशमी तारीख में अपना शरीर त्यागा था।
17 सितंबर बुधवार को उन पितरों का श्राद्ध किया जाएगा जिन्होंने अपना शरीर एकादशी तारीख में त्यागा था। 18 सितंबर गुरुवार को द्वादशी तारीख का श्राद्ध किया जाएगा। 19 सितंबर शुक्रवार को त्रयोदशी तारीख का श्राद्ध करने पर लाभ होगा 20 सितंबर शनिवार के दिन चतुर्दशी तारीख में शरीर छोड़ने वाले पितरों का श्राद्ध होगा।
21 सितंबर यानी रविवार को अमावस्या और जिन पितरों को भूल गए हैं, उनके श्राद्ध होंगे। इस दिन अपने सभी पितरों का श्राद्ध करने पर पितृ अपने लोक लौट जाते हैं।
पितृ पक्ष में रात के समय को लेकर कुछ उपाय बताए गए हैं। इन्हें करने से सभी कष्टों का अंत होता हैं।
घर की दक्षिण दिशा में पितरों का वास होता है। ऐसे में पितृ पक्ष के दौरान रोजाना घर की दक्षिण दिशा में एक दीपक जलाकर रखें। इस दीपक में सरसों का तेल डालें और इसे पितरों को समर्पित करें। इससे पितरों की आत्मा को शांति मिलती है।
माना जाता है कि पीपल के पेड़ में पितरों का वास होता है। पितृ पक्ष के दौरान पीपल के पेड़ के नीचे दीपक जलाना बहुत शुभ होता है। खासकर सर्व पितृ अमावस्या की रात, पीपल के पेड़ के नीचे एक दीपक जरूर जलाएं। इससे पितृ दोष से मुक्ति मिलती है।
सोने से पहले, शांत मन से अपने पितरों का ध्यान करें। उनके नाम का जाप करें और उनसे अपनी गलतियों के लिए माफी मांगें। इसके साथ ही उनसे अपने जीवन में सुख-शांति बनाए रखने का आशीर्वाद मांगें।
रात में खाना खाने से पहले एक थाली में पितरों के लिए खाना निकालें और इसे कौए या कुत्तों को खिला दें। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, पितृ इन रूपों में खाना खाते हैं। ऐसा करने से पितृ खुश होते हैं और घर में अनाज की कमी नहीं होती।