#धर्म
December 11, 2025
हिमाचल: इस मंदिर में बिना माथा टेके आगे बढ़ने पर होती है अनहोनी, सेना भी करती है पूजा- जानें
1962 से संबंध रखता है मंदिर का इतिहास
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किन्नौर। देवभूमि हिमाचल की सड़कों पर हर तीसरे मोड़ पर आपको मंदिर मिल ही जाएगा। इन मंदिरों को बनाने के पीछे कोई ना कोई वजह भी जरूर होगी। पहाड़ों के कठिन रास्तों पर कई जानलेवा हादसे होते हैं। अकसर इन मंदिरों का निर्माण इन्हीं हादसों को रोकने के लिए किया जाता है।
इसी कड़ी में है- किन्नौर का मां तरंडा का मंदिर। मान्यता है कि अगर कोई वाहन चालक इस मंदिर में माथा टेके बिना गुजर जाता है तो उसके साथ अनहोनी हो जाती है। इस मंदिर का इतिहास भी रोचक है जो सेना से संबंध रखता है इसीलिए आज भी सेना के जवान यहां पूजा-पाठ करते हैं।
किन्नौर में NH-5 के किनारे निगुलसारी में मां तरंडा का मंदिर स्थित है। मंदिर के तार साल 1962 से जुड़ते हैं जब भारत-चीन युद्ध के बाद सेना ने यहां पर सड़क बनाने की सोची ताकि बॉर्डर तक गोला बारूद और रसद आसानी से पहुंचाया जा सके।
फिर साल 1963 में सेना के BRO के ग्रेफ विंग ने यहां सड़क बनानी शुरू कर दी। सड़क निर्माण के दौरान हर रोज किसी ना किसी मजदूर की मौत हो रही थी। इससे सेना के लोग काफी परेशान हो गए। ऐसे में तरंडा गांव के लोगों ने उन्हें मां चंद्रलेखा के मंदिर जाने को कहा।
देवी मां के गूर ने बताया कि जिस जगह पर सड़क निकाली जा रही है, वहां शक्ति का वास है- देवी वहां स्थापित होना चाहती हैं। इसी के बाद सेना ने यहां मंदिर का निर्माण करवाया और तरंडा गांव से मां की मूर्ति को लाकर यहां स्थापित किया।
साल 1965 में मां का मंदिर बनने के बाद सड़क का काम भी पूरा हो गया वो भी बिना किसी हादसे के। इसके बाद से मान्यता हो गई कि जो भी मां तरंडा के मंदिर में शीश नवाकर आगे जाएगा, उसके साथ कोई अनहोनी नहीं होगी।