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September 4, 2025

हिमाचल में देवता की मर्जी के बिना नहीं होता कोई काम, शादी करने के लिए भी लेनी पड़ती है इजाजत

दरकिनार नहीं किया जा सकता फैसला

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Kinnaur Marriage

किन्नौर। हिमाचल प्रदेश के किन्नौर जिले में शादी परिवार वालों की सहमति से नहीं होती। यहां शादी होने के लिए देवता महाराज की इजाजत लगती है। खास बात ये है कि देवता जी का फैसला अंतिम होता है। उनके आगी कोई विरोध नहीं करता।

देवता का मर्जी सर्वोपरि

किन्नौर जिले के लोग देवनीति के हिसाब से चलते हैं। यहां शादी भी देवता की मर्जी से होती है। देवता का बात ना मानने का मतलब गंभीर परिणाम भुगतने की शुरुआत है। ऐसे में सबके लिए देवता का फैसला सर्वोपरि है।

 

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नहीं लिए जाते सात फेरे

ट्राइबल डिस्ट्रिक्ट किन्नौर में होने वाली ऐसी शादी को 'रानेकांग विवाह' कहते हैं। इस शादी के लिए ना तो सात फेरे लिए जाते हैं और ना ही परिवार की सहमति। शादी देवता जी की हामी से ही होती है।

पक्का नहीं मानते रिश्ता

ये बात साफ है कि लड़का-लड़की और घरवाले चाहे जितना चाहते हों कि शादी हो जाए लेकिन जब तक देवता हां नहीं कहेंगे, रिश्ता पक्का नहीं माना जाएगा। उनके फैसले के आगे कोई कुछ नहीं है।

 

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देवता से मांगते अनुमति

किन्नौर जिले के कई इलाकों में ऐसा है कि रिश्ता फाइनल करने से पहले घरवाले देवता के मंदिर जाते हैं और वहीं अनुमति मांगी जाती है। अब देवता महाराज चाहे 'हां' कहें या 'ना', सबको ये मानना पड़ेगा।

 

नहीं होता ना का विरोध

देवता की 'हां' होने पर धूमधाम से शादी की तैयारियां शुरू होती हैं। ढेर सारे रीति-रिवाज, परंपराएं और रस्में निभाई जाती हैं। वहीं, अगर देवता 'ना' कह दें तो फिर चाहे कितनी भी उम्मीदें लगी हों, दोनों परिवार बिना कोई सवाल किए इस फैसले को स्वीकार कर लेते हैं और अपने-अपने घर लौट जाते हैं। 

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नहीं हो सकता शुभ काम

स्थानीय लोगों का मानना है कि देवता के आशीर्वाद के बिना कोई भी काम शुभ नहीं होता। उनका कहना है कि देवता पहले ही जान लेते हैं कि आगे जाकर शादी में कौन-सा विघ्न आने वाला है। इसलिए अगर रिश्ता वहीं टूट जाए, तो बेहतर है।

नहीं चल पाईं शादियां

हालांकि वक्त के साथ सोच बदल रही है। कई लोग अब अपनी मर्जी से मनपसंद विवाह भी कर रहे हैं। मगर किन्नौर से ऐसे भी किस्से आए हैं जहां देवता की इच्छा के खिलाफ की गई शादी का सुखद अंत कभी नहीं हुआ।

 

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ना के पीछे बड़ा कारण

यानी दूर उन बर्फीले पहाड़ों में आज भी देवता का फैसला सबसे ऊपर है। लोग मानते हैं-अगर देवता ने 'ना' कहा है, तो इसके पीछे कोई बड़ा कारण जरूर होगा। अब चाहे आपका दिल भले ही टूट जाए, मगर विश्वास यही रहता है-देवता का फैसला ही असली न्याय है।

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