#धर्म
September 13, 2025
हिमाचल के इन देवता साहिब ने दिखाया था ऐसा चमत्कार - तालाब में बदल डाला था अनाज का भंडार
मंदिर में है ऐसा पत्थर जो कोई नहीं उठा सकता
शेयर करें:
शिमला। हिमाचल के देवता साहिब महारुद्र जी कियाओ इतने चमत्कारी हैं कि एक बार इन्होंने अनाज के भंडार को तालाब में बदल दिया था। बताया जाता है कि एक बार जब देवता साहिब नृत्य कर रहे थे, तब उन्हें शीशे की चमक लगी और वे नृत्य छोड़कर महिलाओं के पीछे चल दिए थे। इनके मंदिर में एक छोटा सा देव पत्थर स्थापित है जो देवता साहिब की मित्रता की निशानी है और कोई चाहे जितना भी बलवान क्यों ना हो, इस पत्थर को नहीं उठा सकता।
देवता साहिब महारुद्र जी कियाओ शिमला-रामपुर के 15/20 इलाके के आराध्य हैं। देवता साहिब महारुद्र जी का उत्पत्ति स्थान गानवी बताया जाता है। हालांकि कुछ मान्यताएं ये भी कहती हैं कि वे गानवी के राजा थे।
ये भी पढ़ें: पूर्व MLA होशियार सिंह की पेंशन रोकी, हिमाचल हाईकोर्ट ने सुक्खू सरकार को भेजा नोटिस
उनके समय में गांव में रेई मेला बड़ी धूमधाम से मनाया जाता था जिसमें दूर-दूर से लोग आते थे। एक बार इसी मेले को देखने कियाओ गांव की कुछ महिलाएं भी आईं। मेला देखकर जब वे लौट रही थीं, तो ब्रेसती धार पर बैठकर आराम करने लगीं।
वहीं, कुछ महिलाएं श्रृंगार के लिए शीशा निकाल खुद को निहारने लगीं। उसी समय मेले में महारुद्र जी, देवता लाहरु वीर जी और लाहचा जी नृत्य कर रहे थे। तभी एक महिला के शीशे से निकली चमक महारुद्र जी की आंखों में पड़ी।
ये भी पढ़ें: हिमाचल: मामूली विवाद के बाद युवक ने दूसरे पर तान दी पि*स्ट*ल, लोगों ने कर दी जमकर धुनाई
महारुद्र जी नृत्य छोड़कर उन स्त्रियों के पीछे चल दिए। लाहरु वीर जी उन्हें रोकने के लिए पीछे भागे और रास्ते में लाई बामंणा-सोने की तिखी छड़-ब्रेसती धार में फेंक दी, जो एक बड़े पत्थर से टकरा गई।
इसके बाद महारुद्र जी ने हुड़ी का सिर काटकर लाहरु वीर जी के सामने रख दिया। फिर जैसे ही लाहरु वीर जी दोबारा पीछे भागे, महारुद्र जी अदृश्य हो गए और कियाओ गांव के मेहता परिवार के पास पहुंच गए।
ये भी पढ़ें: हिमाचल: 9वीं कक्षा की छात्रा से नीचता, जबरन गाड़ी में बैठा कर सुनसान जगह ले गया था आरोपी
स्थानीय लोगों ने उनकी मूर्ति अनाज के भंडार में रख दी लेकिन सुबह देखा तो वहां अन्न की जगह सिर्फ पानी था और मूर्ति पानी पर तैर रही थी। तब महारुद्र जी ने अपना परिचय दिया। लोगों ने उनकी देव शक्ति को मानते हुए उनका रथ और मूर्तियां बनवाईं, प्राण प्रतिष्ठा की और मंदिर में स्थापित किया।
तभी से महारुद्र महाराज कियाओ में विराजमान हैं। यहां का ऐतिहासिक पत्थर, जिसे कोई उठा नहीं सकता, उनके मित्र देवता निनसू धराली जी की भेंट है, और ये उनकी मित्रता का अटूट प्रतीक माना जाता है।