#धर्म
September 21, 2025
कुल्लू से नाराज होकर मंडी पहुंचे थे ये देवता साहिब, वास्तुशिल्प के लिए मशहूर हैं इनकी देव कोठियां
करसोग की सबसे ऊंची चोटी धमून में है मुख्य मंदिर
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शिमला। हिमाचल प्रदेश के एक ऐसे देवता हैं जो कुल्लू से नाराज होकर मंडी पहुंचे थे और आज दोनों ही जिलों में इन्हें अलग-अलग नामों से पूजा जाता है। अपनी रियासत में सबसे बड़ा भंडार रखने वाले इन देवता जी की देव कोठियां वास्तुशिल्प के लिए मशहूर हैं और इनके रथ पूरे इलाके में सबसे आकर्षक माने जाते हैं।
ये देवता सुकेत रियासत के चार गढ़ों के राजा, कुल्लू में देऊ छमाऊं के नाम से पूजे जाने वाले देवता नाग धमूनी जी हैं। इनका मुख्य मंदिर करसोग की सबसे ऊंची चोटी धमून में है और देवता जी की सत्ता करसोग के आधे से ज्यादा इलाके में मानी जाती है।
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स्यांज बगड़ा और सेरी बंगलो में इनके दो प्राचीन रथ विराजते हैं। वहीं, डमेहल की कूटाकोठी और सेरी बंगलो की सेरी कोठी अपनी बेमिसाल शिल्पकला के लिए जानी जाती हैं। कहा जाता है कि नाग धमूनी जी कभी कुल्लू के लारजी धामण से रुष्ट होकर एक वृद्धा के साथ सुकेत आए थे।
पहले सेरी बंगलों पहुंचे, कुछ दिन वहीं रुके, फिर आगे बढ़े। फिर आगे एक जगह उनकी ब्राह्मण से मुलाकात हुई, जिसने उन्हें वश में करना चाहा, लेकिन नाकाम रहा। यहीं देवता नाग रूप में धरती से प्रकट हुए, इसी कारण इनका नाम पड़ा नाग धमूनी।
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आगे चलकर महावन गांव पहुंचे। साथ आई वृद्धा ने वहां पानी मांगा, लेकिन किसी ने एक बूंद न दी। तब देवता ने पत्थर पर गज मारा और जलधारा फूट पड़ी। फिर वे शगोग और डमेहल पहुंचे। जहां उनके चमत्कारों से प्रभावित होकर लोगों ने भव्य कोठी बनाई।
परंपरा के अनुसार, आज भी देवता का सम्पूर्ण भंडार डमेहल कोठी में ही सुरक्षित है, जबकि उनके प्राचीन रथ और मोहरे स्यांज बगड़ा कोठी में रखे हैं। इनके प्रमुख देवगण — बशैहरा, मशाणु, जल, जुंडला और सरपेश जी, आज भी साथ में पूजित होते हैं।