#धर्म
January 23, 2025
हिमाचल के वो देवता साहिब- जो कभी उड़कर पहुंच जाते थे भक्तों के पास
उज्जैन के महाकाल जैसा है स्वरूप
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शिमला। देवभूमि हिमाचल के कण-कण में देवी-देवताओं का वास है। यहां के लोगों देवी-देवताओं में बहुत आस्था रखते हैं। हिमाचल के लोग अपने देवी-देवताओं को परिवार के सदस्य की तरह मानते हैं। यहां के पारंपरिक त्योहारों और मेलों में देवताओं का विशेष स्थान होता है।
आज हम आपको हिमाचल के एक ऐसे देवता साहिब के बारे में बताएंगे- जिनका स्वरूप उज्जैन के महाकाल जैसा है। यह देवता साहिब कभी उड़कर अपने भक्तों के पास पहुंच जाते थे। मगर फिर अचानक से उनकी उड़ने वाली मूर्ती गायब हो गई और लोगों में उनके चमत्कार के प्रति विश्वास बढ़ता गया।
हम बात कर रहे हैं कि ऊपरी शिमला इलाके के सबसे ताकतवर देवताओं में शुमार देवता साहिब महाकालेश्वर पन्दोई की। इन देवता साहिब की पंच पालकी में एक नहीं बल्कि 5 देवता विराजमान होते हैं- जिन्हें हम श्री मूल, श्री ढेओकर, श्री सद्रैल, श्री शीर और श्री बजीर के नाम से जानते हैं।
कहा जाता है कि इन्हीं पंच देवों में शामिल श्री ढेओकर ही वो देवता थे- जो हवा में उड़ कर अपने भक्तों के पास पहुंच जाते थे। किंवदंतियों की मानें तो श्री ढेओकर साहिब की पूजा के नियम काफी सख्त थे और जो इनका पालन नहीं कर पाता था- उसे मृत्यु दंड भी दिया जा सकता था।
फिर एक दिन देवता पन्दोई की ढेओकर स्वरुप में उड़ने वाली मूर्ति अचानक से कहीं गायब हो गई। कहा जाता है कि यह मूर्ती स्वयं ही उड़कर कहीं अन्यत्र चली गई। इसके बाद मंदिर में नई मूर्ती की प्राण प्रतिष्ठा की गई। हालांकि, इन देवता साहिब की गज यानि छड़ी आज भी मौजूद है, जो हमेशा पंच पालकी के साथ ही सफर करती है।
तीन मुल्कों यानी तीन बड़े इलाकों के राजा कहे जाने वाले देवता साहिब पन्दोई आज भी शिमला से लगभग 70 किलोमीटर दूर अपने मूल स्थान पन्दोआ में विराजते हैं- जहां आप इनके दर्शन कर सकते हैं।