#धर्म
January 25, 2025
हिमाचल के वो देवता साहिब : जिनका मोहरा करता था बातें- रुकवा देते हैं बारिश
देवता साहिब को पूछे बिना नहीं होता कोई काम
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शिमला। हिमाचल प्रदेश के विशाल पहाड़ों और हरे-भरे वादियों में देवताओं की शक्तियों का गहरा असर देखा जाता है। यहां के लोग अपने हर कार्य में इन दिव्य शक्तियों का आशीर्वाद लेने के लिए तत्पर रहते हैं। पर्वतों की चोटी पर स्थित मंदिर, नदी के किनारे देव स्थलों पर भक्त श्रद्धा से सिर झुका कर अपने दुखों से मुक्ति की कामना करते हैं।
कहा जाता है कि इन देवताओं में विशेष प्रकार की ऊर्जा और शक्ति समाहित है, जो न केवल प्राकृतिक आपदाओं से रक्षा करती है, बल्कि सामाजिक और मानसिक संतुलन बनाए रखने में भी सहायक होती है। हिमाचल के हर कोने में एक अदृश्य, लेकिन प्रबल शक्ति का वास है, जो इस भूमि को अद्वितीय बनाती है।
आज के अपने इस लेख में हम बात करेंगे हिमाचल के एक ऐसे देवता साहिब की- जिनका मोहरा बातें करता था। इन देवता साहिब की धड़छ सैकड़ों वर्षों से जल रही है। अगर इनकी धड़छ को कुछ हो जाए तो प्रलय आ जाएगी।
हम बात कर रहे हैं मंडी रियासत के राजशाही, देवता साहिब बरनाग की- जो हैं 18 करडू और 16 वजीरी के कटोल। आज भी मंडी रियासत में देवता साहिब बरनाग को पूछे बिना कोई काम नहीं होता है।
देवता बरनाग ऐसे इकलौते देव हैं- जो देव पराशर के मूल स्थान पर जा भी सकते हैं और वहां बारिश तक रुकवा सकते हैं।
कथा अनुसार पराशर ऋषि की डूबती झील को बचाने के लिए जब देवता बरनाग के गुर ने पराशर झील में छलांग लगाई- तो जलती हुई धड़छ गुर के हाथ में ही थी। जो 7 दिनों तक पानी में भी जलती रही और आज भी जल ही रही है। कहते हैं अगर इस धड़छ को कुछ हुआ तो प्रलय आ जाएगी।
वहीं, एक बार जब बिर्शु के मेले में कुछ बच्चे बेखल के पेड़ की पत्तियों से देवता बनाकर देव खेल कर रहे थे, तो देव बरनाग उससे बहुत प्रसन्न हुए और घास के देवता में प्रवेश कर गए। फिर जब बच्चों ने बली का नाटक करते हुए लकड़ी से भेड़ू का सिर काटना चाहा तो वो सच में कट गया।
तभी एक बच्ची ने अपने सोने के कंगन को अनाज के कोठल रखकर देवता को बांधा रख दिया और कहा कि आप अगर सच में शक्ति हो तो भेड़ू को जिंदा कर दो। इसके बाद वो भेड़ू जीवित भी हो गया और फिर उसी कोठल से देवता का मुहर निकला, जो आज भी उनके रथ में लगा है। 1954 में PM नेहरू के बुलाने पर बरनाग देवता दिल्ली भी गए थे।