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March 13, 2025

हिमाचल के वो देवता साहब : जो जमीन से हुए प्रगट, मकड़ी ने बुना जिनके मंदिर का नक्शा

देवता साहिब के रथ के साथ विराजती हैं माता हड़िम्बा

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Mahadev Chunjwala Ji

शिमला। देवभूमि हिमाचल प्रदेश के लोग देवी-देवताओं के प्रति गहरी श्रद्धा रखते हैं। हिमाचल के लोग अपने इष्ट देवता को परिवार का सदस्य मानते हैं और किसी भी शुभ कार्य, संकट या निर्णय के समय उनकी सलाह लेना आवश्यक समझते हैं।

मार्गदर्शक हैं देवी-देवता

देवी-देवता केवल आराध्य नहीं, बल्कि जीवन की शक्ति और मार्गदर्शक माने जाते हैं, जो हर परिस्थिति में लोगों को आगे बढ़ने की प्रेरणा देते हैं। प्रदेश के हर गांव और क्षेत्र का अपना एक प्रमुख इष्ट देवता या देवी होती है, जिनकी नियमित रूप से पूजा-अर्चना की जाती है।

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जमीन से हुए प्रगट

आज के अपने इस लेख में हम बात करेंगे हिमाचल के एक ऐसे देवता साहिब की- जो जमीन से प्रगट हुए और इनके मंदिर का नक्शा एक मकड़ी ने बुना है। महादेव रूपी ये देवता साहिब 3 गढ़ 7 हारियों के मालिक हैं। देवता साहिब के बारे कहते हैं कि-

जय देऊआ चुंजवालेआ, भोले रे आ भगवाना। बीझी बादली रे धणीया, बीजा बाती रे वणीआ।

 

रथ में विराजती हैं माता हड़िम्बा

हम बात कर रहे हैं लोभा शोभा रो देओ- महादेव चुन्जवाला जी की- जिनके रथ के साथ माता हड़िम्बा जी सुदर्शन चक्र जैसे निशान स्वरूप में विराजती हैं।

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पत्थर से बहने लगा खून और दूध-घी

देवता जी के उत्पत्ति से जुड़ी- कथा के अनुसार एक बार शालागाढ़ गांव की महिला घास काटने गई थी। जहां वो दराटी को धार देने के लिए उसे एक पत्थर पर रगड़ने लगी- तभी उस पत्थर से दूध-घी और खून बहना शुरू हो गया।

महादेव रूपी देवता साहिब

जिसके बाद महिला और गांववालों ने उसे महादेव रूप माना और अपने साथ गांव लेकर जाने लगे। मगर ये लोग शिवलिंग को लेकर बागीथाच गढ़ से आगे नहीं बढ़ पाए और वहीं उसी स्थान पर मंदिर बनाने की ठानी। मगर ये मंदिर किस शैली यानी डिजाइन में बनाया जाएगा- इस बात पर कोई सहमती नहीं बन पाई।

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मकड़ी ने बुना मंदिर का नक्शा

हालांकि, रात बीतने के बाद जब ये लोग सुबह सोकर उठे- तो पाया कि वहां एक मकड़ी ने सुंदर सा नक्शा तैयार कर रखा था- जिसे देखने के बाद वहां उसी आकार में मंदिर बनाया गया। वहीं, रियासतकाल में  महादेव चुन्जवाला जी का मोहरा मंडी राजा से बातें भी किया करता था और मंडी शिवरात्रि का सबसे पहला निमंत्रण भी इन्हीं देवता जी को भेजा गया था।

जोर से बजता था बाम

बताते हैं कि मंडी शिवरात्री में जाने के दौरान देवता साहिब का बाम इतनी जोर से बजता था कि राजा के बेड़े की छत भी हिल जाती थी- मगर बाद में राजा के आग्रह पर 40 किलो का यह बाम नष्ट कर दिया गया।

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