#धर्म
January 14, 2025
हिमाचल में बंद हुए देवी-देवताओं के कपाट, नहीं होगी मंदिरों में पाठ-पूजा
स्वर्ग प्रवास पर चले गए देवी-देवता
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शिमला। देवभूमि हिमाचल के कण-कण में देवी-देवताओं का वास है। हिमाचल के लोगों की देवी-देवताओं से अनोखी आस्था जुड़ी हुई है। हिमाचल के लोग देवी-देवताओं को अपने जीवन का अभिन्न हिस्सा मानते हैं। लोगों की देवी-देवताओं के प्रति आस्था इतनी गहरी है कि वे अपने दैनिक जीवन के हर छोटे-बड़े निर्णय में उन्हें शामिल करते हैं।
आज के अपने इस लेख में हम बात करेंगे मकर संक्राति यानी माघ के साजे की। जब पूरे अप्पर हिमाचल में एक महीने तक शुभ कार्य नहीं होंगे और ना ही होंगे धार्मिक अनुष्ठान और सूने पड़ जाएंगे हमारे देवालय। इतना ही नहीं हिमाचल के कई इलाकों में कुछ दिनों के लिए शादी विवाह पर भी रोक लग गई है।
आपको बता दें कि हिमाचल के देवी-देवता आज स्वर्ग प्रवास पर चले गए हैं। माघ महीने की शुरुआत यानि माघ मास की संक्रांति आते ही शिमला, मंडी कुल्लू और किन्नौर के कई देवता अपने साजो सामान के साथ स्वर्ग प्रवास कर चुके हैं।
कोई देवता एक महीना तो कोई तीन महीने तक स्वर्ग में रहेंगे और फिर देवताओं की वापसी के साथ पूरे एक साल की भविष्यवाणी होगी। इस संक्रांति से लेकर देवता के लौटने तक का समय काफी कमजोर माना जाता है। मगर देवता के वापसी के बाद सारी रौनक लौट जाती है।
अब यूं तो- बिजली महादेव सहित कुल्लू जिले के करीब 250 देवी-देवता अपनी तिथियों के हिसाब से पिछले महीने ही स्वर्ग प्रवास पर जा चुके हैं। मगर आज मकर संक्रांति के अवसर पर शिमला रामपुर, ऊपरी शिमला, आउटर सिराज और किन्नौर जिले के देवी-देवता अपने पूरे साजो सामान के साथ स्वर्ग प्रवास पर चले गए हैं।
मान्यता के अनुसार ये सभी देवी-देवता स्वर्ग के राजा इंद्र के दरबार में अपने-अपने क्षेत्रों की खुशहाली के लिए कई दिनों तक मंत्रणा करते हैं और शक्तियां हासिल करते हैं। इस दौरान कई सारे देवी-देवताओं के बीच कहासुनी भी हो जाती है। देवताओं के स्वर्ग प्रवास के दौरान जब असमान में बादल गरजते हैं, तो ऐसा माना जाता है कि स्वर्ग में देवताओं का युद्ध हो रहा है।
मान्यता ये है भी है कि स्वर्ग प्रवास पर देवता रोजमर्रा का काम करते हैं। कुछ बैल चुगाने के लिए जाते हैं, तो कोई हल लगाता है। वहीं, जब अपने-अपने काम करके एक या तीन महीने के बाद ये देवताजन स्वर्ग से वापस लौटते हैं, तो इनके मंदिर परिसरों को फिर से खोला जाता है।
जहां ये देवता अपने-अपने गूर के माध्यम से स्वर्ग में हुई घटनाओं को बताते हुए। अगले एक साल की भविष्यवाणी करते हैं- जैसे इस साल कहां कितनी फसल होगी और कहां कितनी तबाही आएगी। स्वर्ग से लौटने के बाद ये देवता अपने भक्तों को वरदान और आशीर्वाद भी देते हैं।